गुरुग्राम के एक निजी स्कूल के बाथरूम में एक छात्रा की चाकू से गला काटकर हत्या किए जाने के मामले में कोर्ट ने CBI की चार्जशीट पर संज्ञान लिया है. CBI ने अपनी चार्जशीट में गुरुग्राम पुलिस पर कई बड़े आरोप लगाए हैं, जिससे गुरुग्राम पुलिस की मुसीबत बढ़ती लग रही है.
प्रिंस मर्डर केस की जांच के दौरान संदिग्ध रवैया दिखाने को लेकर गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांगों के बीच CBI के सूत्रों ने आजतक को बताया कि वे गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ अलग से सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल करेंगे, जिसमें कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी. मृत प्रिंस के पिता ने भी गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
गुरुग्राम कोर्ट मामले में अब 17 फरवरी से सुनवाई शुरू करेगा. कोर्ट ने सीबीआई को 17 फरवरी से पहले सभी गवाहों के बयान पेश करने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट 17 फरवरी को इस बात पर भी फैसला सुना सकता है कि आरोपी 16 वर्षीय छात्र के खिलाफ सुनवाई बतौर नाबालिग होगी या बतौर वयस्क.
उल्लेखनीय है कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी छात्र के खिलाफ बतौर वयस्क कार्रवाई करने की हरी झंडी दे दी है. उधर गुरुग्राम पुलिस की मुसीबत बढ़ती लग रही है. बताते चलें कि गुरुग्राम पुलिस ने मामले की शुरुआती जांच के दौरान स्कूल के ही एक बस कंडक्टर को मुख्य आरोपी बनाया था.
लेकिन सीबीआई ने जब जांच हांथ में ली तो उसी स्कूल में 11वीं में पढ़ने वाले एक छात्र को मुख्य आरोपी बनाया. साथ ही सीबीआई ने गुरुग्राम पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए बस कंडक्टर को क्लीन चिट दे दी.
गुरुग्राम पुलिस, स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग
प्रिंस के परिवार वालों ने जांच में लापरवाही बरतने के लिए गुरुग्राम पुलिस और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. प्रिंस के पिता ने आजतक से कहा कि वह गुरुग्राम पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, जिन्होंने शुरुआती जांच में बस कंडक्टर को मुख्य आरोपी बनाया और प्रिंस का हत्यारा साबित करने की कोशिश की.
उन्होंने साथ ही इन सबके पीछे गुरुग्राम पुलिस और स्कूल मैनेजमेंट के बीच सांठगांठ होने का संदेह भी जाहिर किया. उन्होंने कहा कि सीबीआई को जल्द से जल्द गुरुग्राम पुलिस और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना चाहिए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
चार्जशीट ने की गुरुग्राम पुलिस की फजीहत
सीबीआई की चार्जशीट ने पुलिस की सांसें अटका दी हैं. हालांकि अब तक सीबीआई ने हरियाणा सरकार को गुड़गांव पुलिस पर कार्रवाई के लिए कोई सिफारिश नहीं की है. लेकिन अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने गुड़गांव पुलिस की जमकर फजीहत की है.
कोर्ट में सीबीआई की चार्जशीट दाखिल होने के बाद गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर संदीप खिरवार अपनी खामियों को छुपाते नजर आए. पुलिस कमिश्नर ने माना कि छात्र की हत्या के मामले में पुलिस से कहीं न कहीं चूक हुई है और ऐसे में सीबीआई के रिकमेंडेशन के बाद ही कार्रवाई होगी.
गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर शायद यह भूल गए हों कि 9 सिंतबर 2017 को अपनी प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने मीडिया के सामने चीख-चीख कहा था कि छात्र की हत्या मामले में प्राइम एक्यूजड बस कंडक्टर ही है.
बस कंडक्टर के खिलाफ ही पुलिस ने चार्जशीट तैयारी की थी. लेकिन सीबीआई ने पुलिस की थ्योरी को झूठा करार दे दिया है और बस कंडक्टर को निर्दोष करार दिया है.
ऐसे में सीपी साहब भी अपने बयान बदल रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर उन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने से सीपी साहब क्यों इंकार कर रहे हैं. क्या इस मामले में पुलिस कमिश्नर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.
5,000 पेज की चार्जशीट
जानकारी के मुताबिक, CBI ने सोमवार को गुरुग्राम कोर्ट में आरोपी छात्र के खिलाफ करीब 5,000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में 50 के करीब गवाहों के बयान दर्ज हैं, जिनमें से 23 गवाह उसी स्कूल के हैं. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी बनाए गए छात्र के खिलाफ बतौर वयस्क मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है.
बताते चलें कि 2012 के निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन किया गया, जिसके अनुसार 16 से 18 वर्ष के नाबालिग आरोपियों के खिलाफ जघन्य मामलों में बतौर वयस्क मुकदमा चलाया जा सकता है. पीड़ित परिवार और चारों तरफ से पड़ रहे जबरदस्त दबाव के बाद सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई.