पंजाब में लोगों को नशे के अंधेरे में धकेलने के लिए जितने जिम्मेवार राजनेता हैं. उतने ही जिम्मेवार हैं पुलिसवाले. ऐसे ही एक और आईपीएस अधिकारी कमलजीत सिंह ढिल्लो की तैनाती पर विवाद होने के बाद 10 दिनों के भीतर ही उनका तबादला एआईजी क्राइम के तौर पर कर दिया गया. उन पर ड्रग्स की तस्करी में शामिल 3 पुलिसवालों को बचाने का इल्जाम है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोगा के पूर्व SSP राजजीत सिंह को हटाने के बाद एक और विवादास्पद पुलिस अधिकारी कमलजीत सिंह ढिल्लो की तैनाती करके विवादों से घिर गए थे. नतीजतन 10 दिनों के भीतर ही उनको ढिल्लो का तबादला एआईजी क्राइम के तौर पर करना पड़ा.
पंजाब के एआईजी क्राइम कमलजीत सिंह ढिल्लो पर आरोप है कि उन्होंने तीन ड्रग्स स्मगलिंग के आरोपी पुलिसवालों को छोड़ने के एवज में 40 लाख रुपये की रिश्वत ली थी.
पुलिस विभाग की क्राइम ब्रांच द्वारा की गई जांच में कमलजीत सिंह ढिल्लो को दोषी पाया गया है. मामला पिछले साल यानी 2017 में सामने आया था, जब तत्कालीन भटिंडा रेंज के आईजी एम.एस. चिन्ना ने ढिल्लो के खिलाफ जांच करने को कहा था.
कमलजीत सिंह ढिल्लो पर आरोप है कि उन्होंने अफीम और चूरापोस्त की तस्करी में फंसे तीन आरोपी पुलिसवालों एएसआई जरनैल सिंह, सब-इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह और हेड कांस्टेबल जसवीर सिंह के खिलाफ दर्ज मामले को रफा-दफा करने के लिए एएसआई जरनैल सिंह से 40 लाख रुपए लिए थे. हालांकि कुछ प्रभावशाली लोगों की दखलंदाजी के बाद जरनैल सिंह को उन्होंने रकम लौटा दी थी.
इस मामले में गवाह बने एसपी गुरमीत सिंह और इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह कोर्ट में बकायदा कमलजीत ढिल्लों के खिलाफ गवाही दे चुके हैं. पंजाब पुलिस के क्राइम विभाग के सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में ढिल्लों आरोपी पुलिस कर्मचारियों और ड्रग्स स्मगलरों के बीच हुई बातचीत के सबूत भी मौजूद हैं.
क्राइम विभाग के सूत्रों के मुताबिक ढिल्लो पर आरोप है कि उन्होंने फॉरेंसिक जांच को भटकाने के लिए अपने वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया था. ढिल्लों के खिलाफ की गई जांच की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास पड़ी है. सूत्रों के मुताबिक अब कैप्टन पर ढिल्लो के खिलाफ कार्रवाई न करने का राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है.
उधर, कमलजीत ढिल्लो ने आरोपों का खंडन करते हुए उनके खिलाफ की गई जांच को राजनीति से प्रेरित बताया है. ढिल्लो के मुताबिक आरोपी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ मामला फरवरी 2015 में खारिज किया गया था, जबकि उनका तबादला अप्रैल 2014 में ही हो गया था. ढिल्लो के मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले राजनीतिक दबाव के चलते खारिज किए गए थे.