पंजाब के फरीदकोट में धर्मग्रंथ के अपमान को लेकर भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई. जबकि पचास से ज्यादा लोग जख्मी हो गए. भीड़ ने पवित्र पुस्तक के कथित अपमान को लेकर प्रदर्शन किया. इसी दौरान हिंसा भड़क उठी. दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया.
पुलिस के मुताबिक भठिंडा कोटकपूरा मार्ग पर स्थित एक धार्मिक स्थल से एक पवित्र पुस्तक चोरी हो गई थी. इसी के विरोध में फरीदकोट में करीब 6000 सिख कार्यकर्ता उनकी धार्मिक पुस्तक के कथित अपमान को लेकर सड़कों पर उतरे थे. वे लोग आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान उनमें से कुछ लोगों ने पुलिस पर पत्थर फेंके तो पुलिस ने उन्हें वहां से चले जाने के चेतावनी दी.
उसके बाद नाराज सिख प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हो गया. पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. भीड़ ने आगजनी और पथराव शुरु कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने जहां पत्थर फेंके वहीं पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारों से भीड़ को तितर बितर करने की कोशिश की. इस हिंसा में आठ पुलिसकर्मियों सहित 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
फिरोजपुर रेंज के उप महा निरीक्षक अमर सिंह चहल ने बताया कि हिंसा की घटना के बाद तनाव को देखते हुए इलाके में भारी पुलिसबल तैनात किया गया है. पुलिस को उन हालात में हलका बल प्रयोग करना पड़ा जब पुलिस अधिकारियों और सिख संगठनों के नेताओं के बीच बातचीत के सारे रास्ते बंद हो गए थे.
हिंसा के आरोप में पुलिस ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए 500 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. चहल ने बताया कि स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है. शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. फरीदकोट और मोगा जिलों के कुछ गांवों में समाज विरोधी तत्वों पर नजर रखने के लिए पुलिस गश्त लगा रही है.
घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने एक बयान में कहा कि किसी को भी राज्य में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
इनपुट- भाषा