राजस्थान में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर नकल करवाने वाले हाईटेक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह असल कैंडिडेट के फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग कर परीक्षा में उनकी जगह किसी एक्सपर्ट कैंडिडेट को बिठा देते थे. SOG ने एक ग्रामसेवक और मास्टरमाइंड समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
इतना ही नहीं पूछताछ के दौरान गिरोह के सदस्यों ने खुलासा किया है कि इस तरह थंब प्रिंट की क्लोनिंग कर प्रदेश के सात सेंटरों पर 30 और फर्जी परीक्षार्थियों ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा दी. नकलचियों ने आनलाइन परीक्षाओं में चीटिंग के ऐसे-ऐसे तोड़ निकाले हैं कि पुलिस भी हैरत में है.
गौरतलब है कि राजस्थान में इस बार कांस्टेबल भर्ती परीक्षा आनलाइन हो रही है. इससे पहले नकलचियों के गिरोह द्वारा कंप्यूटर हैक कर नकल करवाने का मामला सामने आ चुका है. और अब थंब प्रिंट की क्लोनिंग कर एक्सपर्ट को फर्जी परीक्षार्थी बनाकर परीक्षा दिलवाने का मामला सामने आया है.
Rajasthan: Police in Ajmer busted a gang which used to clone fingerprints and send fake candidates for examinations pic.twitter.com/adyKIWg0VU
— ANI (@ANI) March 16, 2018
नकल कराने वाला ऐसा गिरोह पकड़ा गया है, जो असली परीक्षार्थी के थंब प्रिंट की क्लोनिंग कर उसकी जगह फर्जी परीक्षार्थी को परीक्षा में सवाल हल करने के लिए भेजता था. इसमें सबसे पहले भरतपुर के रूपावास के ग्रामसेवक नरेश प्रजापत को गिरफ्तार किया गया, जो मेडिकल लीव लेकर जयपुर के डॉल्फिन स्कूल में देवेंद्र नाम के परीक्षार्थी के बदले परीक्षा दे रहा था.
इसके बाद गिरोह के मास्टरमाइंड नरेश सिनसिनवार को गिरफ्तार किया गया, जो 15 हजार रुपये में थंब की क्लोनिंग कर देता था. पुलिस ने ढाई लाख रुपया देकर सौदा करने वाले हरियाणा के असली परीक्षार्थी को भी पकड़ा है. इनके अलावा सरस्वती इन्फोटेक और डॉल्फीन के दो और अजमेर से आठ लोगों को हाईटेक नकल में गिरफ्तार किया गया है.
हरियाणा में बैठकर हर कर रहे थे राजस्थान सेंटर का पेपर
इससे पहले एसओजी ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो एग्जाम सेंटर वाले स्कूल कर्मचारी की मदद से एग्जाम सेंटर का कंप्यूटर हैक कर लेते. इसके बाद एग्जाम सेंटर पर असली परीक्षार्थी सिर्फ कंप्यूटर खोलकर बैठा रहता, जबकि हरियाणा में बैठा गैंग हैक परीक्षार्थी का कंप्यूटर खोल लेता और खुद पेपर हल कर देता.
इस तरह करते थे थंब क्लोनिंग
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब के जरिए फिंगरप्रिंट की क्लोनिंग की तकनीक सीखी. उन्होंने बताया कि वे फिश आयल के जरीए अंगूठे पर वैक्स लगाकर थंब इंप्रेशन लेते थे. इसके बाद थंब इंप्रेशन वाले उस वैक्स की हलकी परत को फेविकोल के जरीए नकली परीक्षार्थी के थंब पर चिपका देते थे. इस थंब क्लोन को वेरिफाई करने के लिए वे आधार कार्ड से उसे वेरिफाई भी करवाते थे.