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राजस्थान में 1 दिन में तीन बच्चियों को मां-बाप ने लावारिस छोड़ा

सभी लावारिस बच्चियों को देखभाल के लिए समाज कल्याण विभाग और बाल कल्याण समिति को सूचना दे दी गई है. फिलहाल इनको अस्पताल में भर्ती कराकर उनका इलाज किया जा रहा है.

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बच्ची को लावारिस छोड़ कर जाती महिला
बच्ची को लावारिस छोड़ कर जाती महिला

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  • लगातार बढ़ रहीं बच्चियों को लावारिस छोड़ने की वारदात
  • समाज कल्याण विभाग और बाल कल्याण समिति को दी गई सूचना

केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के अभियान पर लाखों रुपये खर्च कर रही हैं. लेकिन लोगों की मानसिकता अभी नहीं बदल रही है. राजस्थान में 1 दिन में 3 जिलों में तीन जगह पर नवजात बेटियों का लावारिस छोड़ने का मामला सामने आया है.

सबसे पहला मामला जैसलमेर का है, जहां रामदेवरा में मेले में किसी ने अपनी दुधमुही बच्ची को तालाब के किनारे छोड़ दिया. बताया जा रहा है उसकी उम्र सिर्फ डेढ़ साल है. जब लोगों को बच्ची की रोने की आवाज आई तो लोगों ने उसे उठा कर पुलिस को सौंपा गया. पुलिस ने चाइल्ड हेल्पलाइन की मदद से बच्ची को समाज कल्याण विभाग को सौंप दिया है. जहां पर समाज कल्याण विभाग के अधिकारी हिम्मत सिंह ने बच्ची को जवाहर अस्पताल में भर्ती करा दिया है.

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सड़क किनारे रोती मिली बच्ची

वहीं दूसरा मामला चुरू जिले का है, जहां कलेक्टर दफ्तर के बाहरी सर्किल के पास एक नवजात बच्ची मिली है. वहां से गुजर रहे राहगीर शमशेर सिंह ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी. शमशेर ने पुलिस को बताया कि एक छोटी सी बच्ची सड़क किनारे रो रही है. पुलिस ने तुरंत उस बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया. चिकित्सकों का कहना है इसका जन्म महीने भर पहले ही हुआ है.

इसी तरह से पाली जिले के बारबरा में भी ब्यावर मेड़ता हाईवे पर झाड़ियों में एक बच्ची मिली है. बच्ची को राहगीरों ने रोते हुए देखा तो पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने अमृत कौर अस्पताल में बच्ची को भर्ती करा दिया है. डॉक्टर के अनुसार यह नवजात बच्ची है.

सभी बच्चियों की देखभाल के लिए समाज कल्याण विभाग और बाल कल्याण समिति को सूचना दे दी गई है. मगर इन बच्चियों को देखकर ऐसा लगता है कि कैसे हैं वह मां बाप जो अपने जिगर के टुकड़े को इस तरह से सड़क किनारे फेंक कर चले जाते हैं.

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