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राजसमंद: हत्यारोपी के खिलाफ जनवरी के पहले सप्ताह में पेश होगी चार्जशीट

शंभूलाल की पेशी की वजह से अदालत परिसर को छावनी में तब्दील किया गया था. दोपहर बाद केलवा थाना पुलिस आरोपी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अदालत में लेकर आई.

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आरोपी शंभूलाल
आरोपी शंभूलाल

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राजस्थान के राजसमंद के लव जिहाद के नाम पर लाईव मर्डर मामले में राजस्थान पुलिस जनवरी के पहले सप्ताह में चार्जशीट पेश कर देगी और कोशिश करेगी कि 1 महीने के अंदर आरोपी शंभूलाल रैगर को फांसी की सजा दिलवा सके. सरकारी वकील के जरिए जांच अधिकारी राजेंद्र सिंह ने यह बात बताई. आरोपी शंभुलाल को बुधवार को सीजेएम शैलेन्द्र जडिया के समक्ष पेश किया गया. जहां से पुलिस ने पूछताछ के लिए दो दिन की रिमांड बढ़ाने की मांग की, जिस पर अदालत ने दो दिन का रिमांड बढ़ाई है.

शंभूलाल की पेशी की वजह से अदालत परिसर को छावनी में तब्दील किया गया था. दोपहर बाद केलवा थाना पुलिस आरोपी को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अदालत में लेकर आई. इस मौके पर डीएसपी राजेन्द्रसिंह सहित तीन थानाधिकारी और अतिरिक्त पुलिसबल को तैनात किया गया था.

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आरोपी की पेशी के दौरान उसके वकील समीर व्यास ने पुलिस द्वारा पीसी रिमांड बढ़ाने की मांग पर बहस की. लेकिन कोर्ट ने रिमांड मंजूर करते हुए उसे पुलिस कंस्टडी में भिजवाया. वहीं कोर्ट के आदेश के बाद पीसी रिमांड बढ़ाने को लेकर वकीलों में खुस-फुस चलती रही. लोगों का कहना था कि सभी दस्तावेज और सबूत मौजूद होने के बाद भी पुलिस रिमाडं अवधि बढ़ाने की मांग क्यों कर रही है.

जबकि वकील समीर व्यास ने आरोपी शंभूलाल द्वारा की गई इस वारदात को अवसाद से ग्रसित होकर करना बताया. उनका कहना है कि प्रशासन नियम विरुद्ध आरोपी के वकील को उससे मिलने नहीं दे रही है, जिससे उनके दस्तावेज पूरे नहीं हो पा रहे हैं.

शंभूलाल के वकील समीर व्यास ने कहा कि, यह केस जब हुआ था तो मैं समझ गया था कि यह अवसाद की वजह से हुआ है. इसकी शुरुआत 15 साल पहले हो चुकी थी. यह जब 2 साल पहले बंगाल गया था, तब से अवसाद ग्रस्त होकर वापस आया. उसके बाद से यह अवसादग्रस्त ही रहने लगा. इस मामले में प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रखी हैं.

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार आरोपी का अधिवक्ता उससे कहीं भी मिल सकता है. कानूनी प्रक्रिया चल रही है, धीरे-धीरे करके सारी चीजें सामने आएंगी. हमारी ओर से अलग-अलग तरीके के एप्लीकेशंस लगाई गई हैं, जिसमें परिवार के बैंक अकाउंट को सीज करना भी है. प्रशासन आरोपी का बैंक अकाउंट सीज कर सकता है, लेकिन उसके परिवार का नहीं. यह मानवाधिकार का सीधा ही उल्लंघन है.

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