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डेरे में रखी गई शाही परिवार की 'सीक्रेट मीटिंग', जसमीत के नाम पर लगेगी मुहर

हनीप्रीत को किनारे कर डेरे की कमान राम रहीम के बेटे को सौंपने की तैयारी पूरी हो चुकी है. बस, मंगलवार शाम को इसी सिलसिले में डेरे में होनेवाली एक सीक्रेट मीटिंग में इस पर आख़िरी मुहर लगनी बाकी है. असल में जसमीत को डेरे की गद्दी सौंप कर राम रहीम के घरवाले एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं.

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राम रहीम का बेटा जसमीत सिंह (सफेद घेरे में)
राम रहीम का बेटा जसमीत सिंह (सफेद घेरे में)

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हनीप्रीत को किनारे कर डेरे की कमान राम रहीम के बेटे को सौंपने की तैयारी पूरी हो चुकी है. बस, मंगलवार शाम को इसी सिलसिले में डेरे में होनेवाली एक सीक्रेट मीटिंग में इस पर आख़िरी मुहर लगनी बाकी है. असल में जसमीत को डेरे की गद्दी सौंप कर राम रहीम के घरवाले एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं.

एक तो इस तरह वो हनीप्रीत का दबदबा कम करने में कामयाब होंगे और दूसरा जसमीत के डेरा प्रमुख बनने से करोड़ों की दौलत की चाबी उनके परिवार के पास ही रहेगी. इस तरह डेरे पर कब्ज़ा कर बाकी की ज़िंदगी शान से जीने के हनीप्रीत के ख्वाबों की अब चिंदिया बिखरनी तय है. मंगलवार की शाम इस पर मुहर लग जाएगी.

राम रहीम का परिवार हनीप्रीत को किनारे कर राम रहीम के बेटे जसमीत इंसा की ताजपोशी का फैसला कर लेगा. इसी मसले पर डेरे के अंदर शाही परिवार की कोठी में एक सीक्रेट मीटिंग रखी गई है. सीक्रेट इसलिए, क्योंकि फिलहाल पुलिस ने डेरे प्रबंधन को किसी तरह के सभा-समारोह के आयोजन से पाबंद कर रखा है यानी रोक रखा है.

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ऐसे में गुपचुप मीटिंग के सिवाय डेरा प्रशासन के पास कोई चारा ही नहीं है. डेरे के लोग मोटे तौर पर दो वजहों से ऐसा करने की जल्दी में हैं. अव्वल तो वो इसी बहाने हनीप्रीत को किनारे लगा सकते हैं, जो अब तक ना सिर्फ़ राम रहीम के दिल पर राज करती थी, बल्कि उसके दिल के रास्ते पर भी राज करने लगी थी.

हालत यहां तक पैदा हो गए थे कि वो खुद राम रहीम के घरवालों को ही कुछ नहीं समझती थी. दूसरा ये कि राम रहीम और हनीप्रीत के जेल जाने के बाद डेरे के स्कूल और कॉलेज के सिवाय तकरीबन सारे के सारे कारोबार या तो ठप्प पड़े हैं या फिर उनकी रफ्तार थम गई है. इनमें डेरे की 20 से ज़्यादा फैक्ट्रियों के काम-धंधे शामिल हैं.

ऐसे में डेरे की कमाई पर भी असर पड़ा है. इन हालात में जब तक किसी को डेरे की पतवार थामने के लिए अधिकारिक तौर पर ज़िम्मेदारी ना सौंपी जाए, डेरे पर छाया संकट का बादल छंटनेवाला नहीं है. लिहाज़ा, राम रहीम का परिवार गुपचुप तरीक़े से ही सही, डेरे के खास लोगों के साथ बैठकर इस पर आख़िरी फ़ैसला लेना चाहता है.

वैसे भी डेरे की कमान जसमीत को सौंपने का बीड़ा जिसने उठाया है, डेरे में उसके बराबर फिलहाल किसी की हैसियत नहीं. क्योंकि वो कोई और नहीं बल्कि राम रहीम की मां नसीब कौर है. जब खुद की मां किसी मिशन में हो, तो भला कौन उनका रास्ता काट सकता है. नसीब कौर ने अपने पोते को डेरे का प्रमुख मान लिया है.

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उन्होंने इस पर जेल में बंद अपने बेटे राम रहीम की हामी भी ले ली है. ऐसे में मंगलवार की सीक्रेट मीटिंग की औपचारिकता के बाद जसमीत को आगामी 25 नवंबर को राम रहीम के गुरु शाह सतनाम की जयंती के मौके पर अधिकारिक रूप से डेरे की कमान सौंपी जा सकती है. यह फैसला हनीप्रीत के लिए किसी ज़ोरदार झटके से कम नहीं है.

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