रैनबैक्सी के पूर्व सीईओ शिविंदर सिंह समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह गिरफ्तारी रेलीगेयर की शिकायत के बाद हुई है. रेलीगेयर ने चारों पर 740 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया है. गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने की है. सिंह भाइयों ने अपनी दवा कंपनी रैनबैक्सी को जापान की एक दवा निर्माता कंपनी के हाथों 4.6 बिलियन डॉलर में बेच दी थी.
अगस्त में हुई थी छापेमारी
ईडी ने इस साल अगस्त महीने में रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर (प्रवर्तक) मालविंदर मोहन सिंह और उनके भाई शिविंदर मोहन सिंह के आवासों की तलाशी ली थी. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उनके दिल्ली स्थित आवासों पर तलाशी ली गई. दोनों भाइयों के खिलाफ पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज होने के बाद यह छापेमारी की गई थी.
दाइची सैंक्यो कंपनी की शिकायत
जापानी कंपनी दाइची सैंक्यो ने 2008 में रैनबैक्सी को खरीदा था. बाद में दाइची सैंक्यो ने सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण में शिकायत की थी कि सिंह बंधुओं ने रैनबैक्सी के खिलाफ अमेरिका के खाद्य एवं औषधि विभाग की चल रही जांच की बात छुपाई थी.
क्या है मामला?
जापानी कंपनी का आरोप था कि सिंह बंधुओं ने रैनबैक्सी को बेचते समय महत्वपूर्ण जानकारियां छुपा ली थीं. 21 दिसंबर को सिंगापुर हाइकोर्ट ने एक ट्रिब्यूनल के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें सिंह बंधुओं से दाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रु. चुकाने के लिए कहा गया था. सिंह बंधु जिस समय दाइची सैंक्यो के साथ कानूनी लड़ाई में उलझे हुए थे तो उसी समय उनके बीच आपस में ही संदेह पैदा हो गया.
शिविंदर ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के समक्ष कहा कि मालविंदर और रेलिगेयर के पूर्व प्रमुख सुनील गोधवानी ने रेलिगेयर फिनवेस्ट से 750 करोड़ रु. और फोर्टिस हेल्थकेयर से 473 करोड़ रु. निकालकर आरएचसी होल्डिंग को पहुंचाने की साजिश रची थी.