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प्रद्युम्न की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा- आखिर कैसे हुई थी मौत

रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई है. जिसके मुताबिक प्रद्युम्न के जख्म इतने गहरे थे कि ऐसे हालात में कोई भी इंसान दो-तीन मिनट से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता. उसका खून भी बहुत बह चुका था.

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प्रद्युम्न की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसके जख्म बहुत गहरे थे
प्रद्युम्न की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसके जख्म बहुत गहरे थे

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रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई है. जिसके मुताबिक प्रद्युम्न के जख्म इतने गहरे थे कि ऐसे हालात में कोई भी इंसान दो-तीन मिनट से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकता. उसका खून भी बहुत बह चुका था.

प्रद्युम्न की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक तेजधार हथियार से उस पर वार किए गए थे. उसके जख्म 18 सेमी लंबे और 2 सेमी गहरे थे. उसके सारे कपड़ों में खून भरा हुआ था. गले की नसें पूरी तरह कट गईं थी. साथ ही उसकी खाने की नली भी कट चुकी थी. यही सब बातें उसकी मौत का सबब बन गई.

बताते चलें कि इस मामले को लेकर शनिवार को पुलिस चार्जशीट दाखिल करने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रद्युम्न के माता-पिता से मुलाकात करने के बाद इस हत्याकांड की जांच सीबीआई के हवाले करने का ऐलान कर दिया था. जिस वजह से अब पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी.

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यही नहीं गुडगांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल तीन माह के लिए सरकार के अधीन रखने का फैसला भी किया गया है. प्रद्युम्न के माता-पिता पहले दिन से ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. इस दौरान लगातार इस मामले में नए-नए खुलासे होते रहे. दो दिन पहले ही इस केस की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी ने स्कूल सारे स्टाफ से पूछताछ की थी.

इस दौरान शुक्रवार को प्रद्युम्न के माता-पिता ने मुख्यमंत्री खट्टर से मुलाकात कर फिर से सीबीआई जांच की मांग को दोहराया. ठीक इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले में सीबीआई जांच का ऐलान कर दिया. उन्होंने बताया कि अगले तीन माह के लिए गुडगांव का रेयान इंटरनेशनल स्कूल सरकार के अधीन रहेगा.

बता दें कि शुक्रवार को ही प्रद्युम्न हत्याकांड के आरोपी कंडक्टर अशोक के वकील ने दावा किया कि इस हत्या के मामले में अशोक को फंसाया जा रहा है. इससे पहले भी अशोक की भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं. हालांकि ये भी कहा जा सकता है कि अशोक का वकील वही कर रहा है, जो बचाव पक्ष के वकील को करना चाहिए.

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