नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे शुरू होने पर सरकार ने इसकी सुरक्षा को लेकर खूब दावे किए थे. शुरूआती दौर में यहां हर जगह पुलिस बूथ, सीसीटीवी कैमरे, वॉच टॉवर और इमरजेंसी हेल्प लाइन नंबर जैसी सुविधाएं दी गई थी. लेकिन एक्सप्रेसवे पर होने वाली आपराधिक वारदातों ने सब किए कराए पर पानी फेर दिया है. पुलिस की लापरवाही हर जगह नजर आती है. एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने वाले लाखों लोग अब खुद ही अपनी सुरक्षा के जिम्मेदार हैं.
हाईवे पर होने वाली वारदातें सुरक्षा इंतजाम की पोल खोलती रहती हैं. आए दिन पुलिस की लापरवाही वहां होने वाले अपराधों को बढ़ावा देती नजर आ रही है. पुलिस नाम के लिए एक्सप्रेसवे पर एक-दो जगह नजर आ जाती है. हाईवे पर बोर्ड भी तमाम तरह की सुविधाओं के लगे मिलते हैं. लेकिन यह सब केवल दिखावा बनकर रहा गया है.
एक्सप्रेसवे पर आपकी स्पीड लिमिट की निगरानी करने के लिए सीसीटीवी कैमरे तो लगें हैं. लेकिन ये सभी कैमरे केवल नाम भर के लिए लगे नजर आते हैं. उलटे यहां पर रोज बाइक और कार चलाने वाले लोग ओवरस्पीड करते हुए दिख जाएंगे. स्पीड चेक करने वाली पुलिस की गाड़ी भी कहीं नजर नहीं आती.
एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह नो स्टापिंग बोर्ड लगे हैं. दरअसल, यहां पर गाड़ी रोकना इसलिए मना है, क्यूंकि पीछे से आ रही गाड़ी रफ्तार से होती है, जिस वजह से एक्सीडेंट का खतरा बहुत ज्यादा होता है. लेकिन यहां पर लगे इन बोर्ड पर भी ध्यान नहीं देता. लोग अक्सर हाईवे पर रुककर फोटो खींचते हुए दिखाई दे जाते हैं. इसी वजह से कई बार यहां एक्सीडेंट भी हुए हैं.
एक्सप्रेसवे के शुरू होने पर हर थोड़ी दूरी पर पुलिस पेट्रोलिंग के साथ ही ऊंचे वॉच टॉवर लगाए जाने का दावा किया गया था. सभी टॉवर पर पुलिस वालों की तैनाती की बात कही गई थी. जांच की तो पता चला टॉवर तो सड़क किनारे मौजूद हैं, लेकिन कोई भी पुलिसकर्मी इन पर नजर नहीं आया. बजाय इसके कई लोग जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते नजर आए.
एक्सप्रेसवे पर एक दो पुलिस पीसीआर गश्त करती हुई नजर आती हैं. लेकिन मुसीबत के वक्त यहां के हेल्पलाइन नंबर काम नहीं आते हैं. थोड़ी दूरी के बीच लगे आपातकाली फोन बूथ अधिकतर खराब पड़े हैं. हेल्पलाइन नंबरों पर फोन मिलाया गया तो कुछ फायदा नहीं हुआ. इससे साफ है, निगरानी के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. धीरे-धीरे यह हाइवे अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है.