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राजनीति में ही नहीं बल्कि शारीरिक शोषण की शिकायतों में भी जेएनयू अव्वल

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर चर्चा में है. इस बार जेएनयू शारीरिक शोषण की सर्वाधिक दर्ज की गई 39 शिकायतों को लेकर चर्चा में आ गया है.

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जेएनयू
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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर चर्चा में है. इस बार जेएनयू शारीरिक शोषण की सर्वाधिक दर्ज की गई शिकायतों को लेकर चर्चा में है. सत्र 2015-16 में जेएनयू में शारीरिक शोषण के 39 मामले दर्ज किए गए, जो जेएनयू के इतिहास में अभी तक सबसे ज्यादा दर्ज मामले हैं.

जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-16 में यूनिवर्सिटी में कुल 42 शारीरिक शोषण से जुड़े मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 3 मामले वापस ले लिए गए थे. वहीं 3 मामलों में जांच पूरी कर ली गई थी. बाकी के दर्ज सभी मामलों में जांच जारी है.

गौरतलब है कि साल 2014-15 में जेएनयू में शारीरिक शोषण के कुल 26 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2013-14 में दर्ज मामलों का यह आंकड़ा 25 तक ही सीमित था. दिसंबर माह में तत्कालीन शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में इस बारे में एक बयान दिया था. स्मृति ईरानी ने कहा था कि बीते दो सालों में जेएनयू में शारीरिक शोषण के दर्ज मामले देश भर की शैक्षणिक संस्थाओं में दर्ज मामलों में सबसे पहले पायदान पर हैं.

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वहीं जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट कई बार जेएनयू शिक्षकों के निशाने पर भी रही हैं. शिक्षकों का आरोप है कि कमेटी में पदस्थ लोग अपने पद का दुरूपयोग करते हुए मामले में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाते हैं. बताते चलें कि कथित कमेटी का गठन साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में किया गया था.

गौरतलब है कि जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी में जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी, यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक अधिकारी, हॉस्टल वार्डन और अन्य महत्वपूर्ण विभाग के लोग शामिल होते हैं. वहीं जेएनयू प्रशासन ने हाल ही में एक ऐसी पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत गलत शिकायत दर्ज करवाने पर शिकायतकर्ता के खिलाफ सजा का प्रावधान है.

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