आरजेडी भागलपुर में हुए 300 करोड़ से अधिक घोटाले को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने बयान जारी कर कहा है कि भागलपुर के महाघोटाले ने सरकार की जीरो टॉलरेन्स नीति की कलई खोल दी है. आरजेडी लगातार यह कहती रही है कि बिहार सरकार की जीरो टॉलरेन्स नीति संगठित एवं राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है. बिहार का नाम इस घोटाले के बाद शर्मसार हुआ है.
सरकार के संरक्षण में हुई लूट
आरजेडी का दावा है कि घोटाले की परत-दर-परत खुलते ही कई राजनेता, केंद्रीय मंत्री व सरकार के आला अधिकारियों की संलिप्तता सामने आएगी. स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भागलपुर के एनजीओ को सर्वश्रेष्ठ एनजीओ होने का पुरस्कार दे रखा है. इससे स्पष्ट होता है कि इतना बड़ा घोटाला सरकार के संरक्षण में हो रहा था. फिर भी सरकार चुपचाप बैठकर खजाने की लूट करवा रही थी.
घोटाले में शामिल हैं बड़े नेता
शक्ति सिंह यादव ने आरोप लगाया कि बिहार सरकार की जांच एजेंसी निष्पक्ष तरीके से इस घोटाले की जांच नहीं कर सकती है क्योंकि प्रथम दृष्टया इस घोटाले में बड़े अधिकारी और बड़े नेता के संलिप्त होने की संभावना है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी इस संस्था को पुरस्कृत कर चुकें हैं. सुशील मोदी ने इस घोटाले को अंजाम देने में अहम भूमिका अदा की है. इसलिए इस घोटाले की जांच हर हाल में सीबीआई से करवानी चाहिए. इस देश में दो तरह के मापदंड नहीं चल सकतें है. कोषागार से अधिक धन निकासी के सवाल पर श्री लालू प्रसाद यादव पर 120/बी की झूठी धारा लगाकर परेशान किया जाता रहा है.
जांच हुई तो सामने आएगा करोड़ों का घोटाला
राष्ट्रीय जनता दल इस पूरे महाघोटाले के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक प्रतिकार करेगी. आज देश के प्रधानमंत्री की अग्नि परीक्षा का समय आया है. आरजेडी देखना चाहती है कि इस पूरे मामले पर भारत की सरकार संज्ञान लेती है या नहीं. अगर इस पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच हुई तो हजार करोड़ से ऊपर का घोटाला साबित होगा. नैतिकता और अंतरात्मा की बात करने वाले अब इस विषय पर क्या निर्णय लेते हैं, ये राज्य की जनता देखेगी.