डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरमीत राम रहीम भले ही जेल की सलाखों के पीछे हो, लेकिन उसे हनीप्रीत से लेकर डेरा की संपत्ति तक की चिंता सता रही हैं. जेल में बाबा बैचैन है. रात को उसे नींद नहीं आती. उसके दिन का चैन भी उड़ा हुआ है. अब उसका एक पुराना साथी उसकी ये बैचेनी दूर करने में लगा हुआ है. जिसके सहारे बाबा आगे की रणनीति तैयार कर रहा है.
रोहतक की जेल में बंद गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा बेचैन है. उसे कई तरह की टेंशन हैं. हनीप्रीत से लेकर गद्दी तक की चिंता उसे सता रही है. करोड़ों की संपत्ति और डेरा की गद्दी को लेकर वो परेशान है. एक के बाद एक बाबा के कारनामों के खुल रहे चिट्ठे ने भी उसकी मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. ऐसे में बाबा हर वो कानूनी दांव पेच समझ लेना चाहता है जो कि डेरे को बचा सके.
बाबा का वकील गुरदास सिंह उससे मिलने रोहतक की सुनारिया जेल पहुंचा. गुरदास सिंह ने बाबा से करीब एक घंटे की मुकालात की. जिसके बाद वो गाड़ी से मोहाली की ओर निकल गया. आपको बता दें कि गुरदास सिंह अक्सर बाबा से मिलने रोहतक जेल आता हैं. और वो ना सिर्फ राम रहीम का वकील है बल्कि उसका करीबी भी माना जाता है.
गुरदास सिंह वही शख्स है जो कि 25 अगस्त को राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद जेल लाते वक्त उसका सूटकेस उठाए हुए था. जिसकी खबरें मीडिया में चलने के बाद हरियाणा सरकार ने गुरदास सिंह को पद से हटा दिया था. ऐसे में गुरदास ना केवल बाबा को कानून सलाह देता है बल्कि निजी राय में भी बाबा की मदद करता हैं.
जेल में सजा काट रहे बाबा के सामने समस्याओं का अंबार हैं. जिसको लेकर बाबा गुरदास से राय ले रहा है. मसलन डेरा का उत्तराधिकारी किसे बनाया जाए. वैसे इस लिस्ट में सबसे पहला नाम हनीप्रीत का था, लेकिन उसके बाद राम रहीम के बेटे जसमीत के डेरा प्रमुख बनने की अटकलें तेज होने लगीं. फिर ख़बर आई कि अभी बाबा खुद डेरे की कमान अपने हाथों में ही रखेगा.
सूत्रों की माने तो बाबा इस संबंध में कानूनी राय ले रहा है. भले ही जसमीत इंसा के डेरा प्रमुख बनने की खबरें आई हों लेकिन राम रहीम हनीप्रीत को भी नाराज नहीं करना चाहता क्योंकि उसे पता है कि हनीप्रीत की नाराजगी उसे कानूनी रूप से भी महंगी पड़ सकती हैं. हनीप्रीत बाबा के हर राज को अच्छी तरह से जानती हैं.
हनीप्रीत अभी तो मुंह पर ताला लगाए बैठी है. पुलिस उससे कोई भी बड़ा राज उगलवाने में नाकाम रही है. राम रहीम अपने वकील गुरदास से ये भी जानने की कोशिश में लगा हुआ है कि अगर हनीप्रीत ने मुंह खोला तो वो उसके लिए कितनी बड़ी समस्या खड़ा कर सकता है.
राम रहीम के लिए तीसरी समस्या है डेरे की करोड़ों की संपत्ति. जिसे बचाना है. यहां पर भी उसका एक मात्र सहारा गुरदास ही है, जो कि कानूनी दांव पेंचों को अच्छी तरह से समझता है. साफ हैं गुरमीत राम रहीम सलाखों के पीछे हैं. लेकिन हनीप्रीत, डेरा की गद्दी और अरबों की संपत्ति की चिंता ने उसे बेचैन कर रखा है.