शिमला के विवादित गुड़िया गैंगरेप मामले में गुरुवार को एक नया मोड़ आ गया. शिमला के कोटखाई थाने में तैनात संतरी ने सीबीआई को कुछ ऐसा बयान दिया कि खुद एसपी डी डब्लू नेगी ही सलाखों के पीछे पहुंच गया. दरअसल, थाने में तैनात दिनेश शर्मा नाम के संतरी ने शिमला पुलिस के बड़े अधिकारियों की पोल खोल दी है.
सूत्रों के मुताबिक संतरी ने जब सीबीआई को बताया कि पुलिस लॉकअप में उसकी आंखों के सामने गैंगरेप के कथित आरोपी राजू ने दूसरे आरोपी सूरज की हत्या नहीं की तो पुलिस की झूठी कहानी सामने आते देर नहीं लगी. सूत्रों के मुताबिक सूरज की हत्या पुलिसकर्मियों ने ही की थी और बाद में उसका आरोप राजू के सिर मढ़ दिया.
सूरज की हत्या थाने में ना हो कर थाने से बाहर कहीं दूसरी जगह पर की गई थी. उसके पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ था कि उसे मारने से पहले बुरी तरह पीटा गया था और उसके सिर और गुप्तांग पर चोट के निशान थे. ड्यूटी पर तैनात संतरी ने सीबीआई को बताया था कि हत्या की रात वह थाने में तैनात था. सूरज की हत्या लॉकअप में नहीं हुई बल्कि डीएसपी मनोज जोशी उससे पूछताछ के लिए लॉकअप से बाहर कहीं दूसरी जगह ले गए थे. यानी पुलिसकर्मियों ने सूरज को किसी जगह ले जाकर मौत के घाट उतारा और फिर उसे आपसी रंजिश का नाम देकर राजू के सिर मढ़ दिया जो लॉकअप में बंद था.
सूत्रों के मुताबिक संतरी दिनेश शर्मा ने CBI को बताया था कि बड़े पुलिस अधिकारियों ने दोषी पुलिस वालों को बचाने के लिए उससे जबरन बयान लिखवाया था कि आरोपी राजू ने सूरज की हत्या उसके सामने की. सूत्रों के मुताबिक सूरज की हत्या के बाद डीएसपी मनोज जोशी ने शिमला पहुंच कर गिरफ्तार एसपी डी डब्लू नेगी और आईजी जहूर जैदी से गुपचुप मुलाकात की थी. यानी शिमला के आला पुलिस अफसर सूरज की मौत का राज जानते थे और पुलिस वालों को बचाने के लिए उन्होंने ही झूठी FIR दर्ज करवाई थी.
शिमला के बहुचर्चित गुड़िया गैंगरेप मामले के असली गुनाहगार अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. अब तक इस मामले में कुल 9 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी गिरफ्तार हो चुके हैं. मंगलवार को गिरफ्तार हुए तत्कालीन शिमला SP डी डब्ल्यू नेगी के अलावा आईजी जहूर जैदी और डीएसपी मनोज जोशी सहित कोटखाई थाना प्रभारी और दूसरे पुलिसकर्मी 3 महीने पहले ही गिरफ्तार किया जा चुके हैं. गौरतलब है कि 18 जुलाई को शिमला के कोटखाई पुलिस थाने में कथित तौर पर गैंगरेप के सह आरोपी सूरज की हत्या कर दी गई थी.
गैंगरेप की शिकार गुड़िया कोटखाई के करीब एक सरकारी स्कूल में दसवीं की छात्रा थी. वह 4 जुलाई 2017 को अचानक कहीं गायब हो गई थी लेकिन 6 जुलाई को स्थानीय जंगल से उसकी लाश बरामद की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मरने से पहले उसका गैंगरेप किया गया था. पुलिस ने गैंगरेप के आरोप में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
शिमला की अदालत ने गैंगरेप के कथित पांचों आरोपियों राजू, दीपक, सुभाष, लोकजन और आशीष चौहान को जमानत दे दी है क्योंकि पुलिस उनके खिलाफ निर्धारित अवधि के भीतर चालान पेश नहीं कर पाई.
यह पहली बार है कि किसी गैंगरेप मामले में असली मुजरिम पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और पुलिस के बड़े अधिकारी खुद सलाखों के भीतर.