साध्वियों से रेप के जुर्म में डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह बेशक रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है, लेकिन उसके कारनामों को लेकर नित नए खुलासे हो रहे हैं. हाल ही में खुलासा हुआ है कि गुरमीत राम रहीम कानून को ताक पर रखकर बच्चों को उनके माता-पिता से दान में लेता था और फिर उन्हें दूसरे परिवारों को दे दिया करता था.
विज्ञापन में ये झांसा दिया जाता था कि बच्चा दान देने से घर में खुशहाली आती है. बच्चा देने वाले परिवार को दूसरे पक्ष से मिलाया भी नहीं जाता था. ना ही उसे दूसरे पक्ष की कोई जानकारी दी जाती थी.
गुरमीत ये सब डेरे से छपने वाले अखबार में विज्ञापन के माध्यम से किया करता था. इस विज्ञापन में बच्चे दान करने के लिए कहा जाता था. डेरे पर आस्था की पट्टी आंखों पर बंधी होने की वजह से कई माता-पिता अपने बच्चे दान भी दे देते थे.
ऐसी ही व्यथा पानीपत के हरि सिंह कॉलोनी में रहने वाली महिला ललिता ने सुनाई है. 12 साल पहले ललिता ने अपना बच्चा डेरे के अखबार में विज्ञापन पढ़ने के बाद दान में दे दिया था. अब अपने बच्चे को याद करते हुए ललिता की आंखों से आंसू नहीं थमते.
ललिता का कहना है कि अखबार के विज्ञापन में ये लिखा जाता था कि जिनके घरों में पहले से दो-तीन बच्चे हैं वो अपना नवजात शिशु दान में दें, इससे जिनके घर बच्चों के किलकारियों से सूने हैं, उनके घर में खुशी आ जाएंगी. विज्ञापन में ये भी कहा जाता था कि जो भी बच्चा दान देता है उसके घर में खुशहाली बरसने लगती है.
दान में दिए बच्चे के अलावा ललिता के तीन बच्चे और हैं. उसका दुख इसलिए भी बड़ा है कि उसका पति भी डेरे का अनुयायी था, जो फिलहाल जेल में है.
गुरमीत के डेरे से इस तरह का ये पहला मामला सामने आया है. प्रशासन की ओर से इस मामले में गहन जांच की जाए तो और भी चौंकाने वाले मामले तथ्य सामने आ सकते हैं.