बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम भले ही जेल में बंद हो, लेकिन एक जमाना वो भी था कि हरियाणा की हुकूमत उसकी अंगुली के इशारे पर नचाती थी. वो सरकार को ऐसे नचाता था कि भक्त वाह-वाह करने लगते थे. सिरसा के जिस विशाल साम्राज्य को आज से 18 साल पहले जमीन में मिला दिया जाना चाहिए था, वो आसमान में तनता चला गया. डीएम, एसडीएम, पंचायत अफसर सब नोटिस पर नोटिस भेजते रहे और गुरमीत के कारिंदे उसमें मूंगफली खाते रहे.
आजतक/इंडिया टुडे के हाथ डिस्ट्रिक्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के वो दस्तावेज लगे हैं, जिन्हें हरियाणा की सरकार अब तक दबाकर बैठी थी. ताकि राम रहीम से उसकी सांठगांठ का चिट्ठा न खुल जाए. कायदा ये कहता है कि अगर शहरी जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य होता है, तो उसके लिए टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट से मंजूरी लेनी होगी. लेकिन जिस जमीन पर सौ एकड़ का साम्राज्य खड़ा होता गया, उसके लिए एक पन्ने की दरख्वास्त तक किसी ने कभी नहीं लिखी.
नियम के मुताबिक सिरसा के डेरे में निर्माण के नाम पर एक ईंट तक नहीं लगाई जा सकती थी. हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के जो दस्तावेज आजतक के पास हैं, उनके मुताबिक 1995 में ही राम रहीम एंड कंपनी से इस निर्माण का हिसाब मांगा गया था.
चेतावनी दी गई थी कि अगर आपने बेगू गांव में बनी इमारतों की मंजूरी के दस्तावेज जमा नहीं किए तो आपके सारे महल मिट्टी में मिला दिए जाएंगे. लेकिन इस नोटिस का महत्त्व राम रहीम के लिए हाथों के मैल से ज्यादा कुछ नहीं था. इन सब के बावजूद गुरमीत गैरकानूनी तरीके से बड़ी बड़ी इमारतें बनाता चला गया.
गुरमीत ने शाह सतनाम जी रिसर्च एन्ड डव्लपमेंट सेंटर बना डाला. डेरा सच्चा सौदा की सैकड़ों दुकानें और मालखाने बनवा डाले. डेरे में ही फार्म हाउस, बॉयज हॉस्टल, क्रिकेड स्टेडियम बनवा डाला. और तो और उसने धर्मशाला, फार्मेसी, अस्पताल और योगा सेंटर भी बनवा डाले. और ये सबकुछ 2013 तक खड़ा हो गया था.
अब देखिए खेल कैसे हुआ. आजतक के पास डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर का वो चिट्ठा है, जिसमें बताया गया है कि 2015 में डेरे की तरफ से लैंड यूज बदलवाने की तिकड़म शुरु हुई. अव्वल तो ये मुनाबिस नहीं था. अगर ये होता भी तो डेरे को करोड़ों रुपए की पेनाल्टी जमा करवानी पड़ती. लेकिन बाबा पर सरकार की कृपा बरसी और ऐसी कृपा बरसी कि सरकार ने इस पूरे इलाके को 27 नवंबर 2015 को शाह सतनामपुरा गांव घोषित कर दिया.
इसका मतलब ये हुआ कि डेरे की सारी जमीन किसी भी इजाजत से मुक्त हो गई. गैरकानूनी तरीके से बनाई गई सारी इमारतें एक इजाजत से कानूनी हो गईं. जल्दबाजी ऐसी थी कि 31 दिसंबर 2015 को टाउन प्लानर ने डेरे के सारे निर्माण पर अपना ठप्पा लगा दिया.
कहने का मतलब ये है कि सिरसा में गुरमीत राम रहीम की प्राइवेट सिटी को गांव साबित करने के लिए सरकार ने सारे कायदे-कानूनों को उसके चरणों पर अर्पित कर दिया था. डेरा लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था. हरियाणा में 2015 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के 10 महीने के भीतर यह कृपा कर डाली.
1993 में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय बेगू गांव में शिफ्ट कर दिया था. इसके साथ ही पूरे इलाके में भव्य इमारतों की श्रृंखलाएं खड़ी होने लगीं. 50 एकड़ में धार्मिक स्थल तो 4 एकड़ में बाबा का फार्महाऊस बनाया गया. शाही परिवार के सदस्यों के महल बने. साथ ही स्कूल और कॉलेज भी बनाए गए. यही नहीं रिसॉर्ट, अस्पताल, सिनेमा, पार्क और रेस्त्रां भी बनाए गए. कई तरह के कारखाने, गोदाम और धर्मशालाएं भी बनाई गईं.
मतलब प्रधानमंत्री के सपना देखने से बरसों पहले गुरमीत राम रहीम सिरसा में स्मार्ट सिटी बना चुका था. किसी भी इमारत को बनाने से पहले सी.एल.यू. की दरकार होती है. खासकर कारखानों, गोदामों, होटल, सिनेमा, रेस्त्रां के लिए यह काफी पेचिदा कानूनी प्रक्रिया है.
1995 में सिरसा के डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर ने नोटिस भेजकर 15 दिन के भीतर सारा हिसाब साफ-साफ बताने को कहा था. 1998 में डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर ने एक बार फिर से डेरा को सारे कागजात जमा कराने के लिए कहा. साइट प्लान, डीड, नकल और खसरे के सारे सबूत अविलंब सरकार को देने का फरमान भी जारी किया. मगर गुरमीत राम रहीम ने किसी नोटिस का न तो कोई जवाब दिया और न ही सबूत. चार साल तक सरकार गुरमीत राम रहीम के जादू का मजा लेती रही.
11 नवंबर 2002 को सिरसा के टाउन प्लानर ने डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन को एक और नोटिस भेजा. जिसमें लिखा था कि आपको आदेश दिए जाते हैं कि आप दिनांक 27.11.02 तक किए गए समस्त अवैध निर्माण को स्वयं गिरा दें या उसे उक्त अधिनियम तथा इसके अंतर्गत स्थापित नियम के अनुरूप परिणत करवाएं अन्यथा इस अवैध निर्माण को नगर तथा ग्राम आयोजना विभाग, हरियाणा द्वारा गिराया जाएगा. जिसका सारा खर्चा आपको वहन करना होगा.
चार साल तक गुरमीत राम रहीम इस नोटिस का फर्रा बनाकर उड़ाता रहा. चार साल तक फिर से सरकार चुप बैठी रही. 2006 में टाउन प्लानर ने एक और नोटिस भेजा. 7 नवंबर के इस नोटिस में कहा गया कि आपकी सारी अपीलें खारिज कर दी गई हैं और अब 14 सितंबर 2006 तक सारा निर्माण अंतिम तौर पर स्वयं गिरा दें और जमीन से कब्जा छोड़ दें. इसके बाद की इन सारे लफड़ों से बचने के लिए डेरा के अधिकांश हिस्से को सरकार ने गांव ही बना डाला.
डेरे की अर्जी पर भाजपा सरकार ने एक स्मार्ट सिटी को इस गांव का हिस्सा दे दिया. फिर सी.एल.यू. के दायरे से फ्री जोन में डाल दिया. आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि पूरा गांव एक आदमी की मिल्कियत हो. लेकिन शाह सतनाम पुरा गांव गुरमीत राम रहीम की बपौती बन गया. 2016 में पहली बार स्थानीय चुनाव हुए तो इस गांव के 1100 वोट थे. मतलब सरकार राम रहीम पर कानून को निसार कर रही थी. और राम रहीम सरकार पर अपने समर्थकों के वोट. भक्ति और शक्ति के इसी साधारण रिश्ते पर सिरसा में सत्ता का सारा संतुलन टिका हुआ था.