scorecardresearch
 

नहीं रुके बच्चों पर हमले, एनकाउंटर के बाद कुत्तों की नसबंदी

यूपी के सीतापुर में आदमखोर हो जाने के शक में कुत्तों का एनकाउंटर किए जाने के बाद भी बच्चों पर हमलों का सिलसिला बदस्तूर जारी है. पुलिस, प्रशासन और वन विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं. लिहाज़ा अब प्रशासन ने एनकाउंटर के बाद कुत्तों की नसबंदी की मुहिम चला दी है.

Advertisement
X
सीतापुर में आदमखोर कुत्तों की वजह से बच्चे घरों में कैद होने को मजबूर हैं
सीतापुर में आदमखोर कुत्तों की वजह से बच्चे घरों में कैद होने को मजबूर हैं

Advertisement

यूपी के सीतापुर में आदमखोर हो जाने के शक में कुत्तों का एनकाउंटर किए जाने के बाद भी बच्चों पर हमलों का सिलसिला बदस्तूर जारी है. पुलिस, प्रशासन और वन विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं. लिहाज़ा अब प्रशासन ने एनकाउंटर के बाद कुत्तों की नसबंदी की मुहिम चला दी है.

सीतापुर में कुत्तों के आदमखोर हो जाने की ख़बर आने के बाद से ही अचानक एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. हालांकि ये तस्वीर सीतापुर की नहीं बल्कि दिल्ली की है. मगर सीतापुर में भी बच्चों पर जो हमले हुए वो कुछ इसी अंदाज़ में हुए थे.

नवंबर 2017 से सीतापुर में जो सिलसिला शुरू हुआ वो मई खत्म होते-होते भी जारी है. ना बच्चों पर हमले रुक रहे हैं ना गांव से दहशत बाहर जा रही है. ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब सीतापुर जनपद के किसी ना किसी गांव में अचानक शोर उठता है और लोग लाठी-डंडे लिए अनजाने और अनदेखे जानवर की तरफ दौड़ पड़ते हैं. इस दौड़ा-भागी में कभी-कभी पुलिस और वन विभाग के लोग भी गांव वालों के साथ हो लेते हैं. इसी चक्कर में कई सीधे-साधे और बेकसूर कुत्तों की बलि चढ़ चुकी है.

Advertisement

हालांकि प्रशासन बाकायदा बयान जारी कर दावे कर रहा है कि सीतापुर में कुत्ते या किसी भी जानवर की हत्या या पशु उत्पीड़न को शह देने में वो शामिल नहीं है. मगर कुछ तस्वीरें प्रशासन के दावे की चुगली करती नजर आती हैं. वर्दी में लाठी से कुत्ते की जान लेते पुलिस वाले साफ दिखाई दे जाते हैं.

ऐसी हत्याओं के बाद चौतरफा दबाव पड़ने पर अब प्रशासन ने जानवरों की सुरक्षा के लिए निगरानी टीम बनाने का एलान किय़ा है. इतना ही नहीं. प्रशासन का दावा है कि लखनऊ के कान्हा उपवन की वैन में अब तक 30 कुत्तों को नसबंदी के लिए भेजा गया है. कुत्तों की ये नसबंदी इसलिए कराई जा रही है, ताकि हमलावर कुत्तों की आबादी बढ़ने से रोका जा सके. प्रशासन का कहना है कि कुत्तों की नसबंदी के लिए नगर पालिका खैराबाद हर कुत्ते पर 1200 रुपये खर्च कर रहा है.

हालांकि प्रशासन का ये भी कहना है कि कुत्तों की नसबंदी का फैसला कोर्ट के आदेश के तहत ही लिया गया है. लेकिन जानवरों के अधिकार से जुड़ी संस्थाओं के मुताबिक कुत्तों की नसबंदी से सीतापुर में कोई बहुत फर्क पड़ने वाला नहीं है. दलील ये भी दी जा रही है कि जब य़ही पक्का नहीं है कि हमलावर कुत्ते ही हैं तो फिर कुत्तों की नसबंदी क्यों कराई जा रही है.

Advertisement

एनिमल राइट से जुड़े लोगों का मानना है कि कुत्तों के आतंक से घबराया प्रशासन नाकाम होने के बाद ही कुत्तों की नसबंदी करने पर तुल गया है. प्रसाशन ने लोगों से अपील की है कि वो कुत्तों की शिनाख्त कर उसे चिकित्सालय तक लाएं ताकि टीकाकरण के साथ-साथ उसकी नसबंदी की जा सके. प्रशासन का कहना है नसबंदी के बाद दोबारा कुत्तों को खुले में छोड़ने में जोखिम नहीं है.

फिलहाल प्रशासन ने जानवरों के लिए काम करने वाली दूसरी संस्थाओं से भी सीतापुर जनपद में इस आफत से निपटने में मदद की अपील की है. मौजूदा हालात ये हैं कि अभी भी प्रभावित इलाकों में आदमखोर कुत्तों की दहशत बरकरार है.

Advertisement
Advertisement