चर्चित सोहराबुद्दीन शेख, कौसर बी और साथी तुलसीराम प्रजापति हत्याकांड मामले में मुंबई की एक अदालत में एक ही दिन में आठ आरोपियों ने अपने बयान दर्ज करवाए. अपने बयान में उन्होंने दावा किया कि एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन का मारा जाना कई लोगों की महत्वाकांक्षा का नतीजा था.
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस के सिलसिले में मंगलवार को मुंबई की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में राजस्थान के इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान, सब इंस्पेक्टर श्याम सिंह, हिमांशु सिंह राजावत, गुजरात पुलिस के इंस्पेक्टर बालकृष्ण चौबे, अजय परमार, कांस्टेबल अजय, संतराम और व्यापारी राजू जीरावाला के बयान दर्ज हुए.
सभी आरोपियों ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत एक ही बयान दिए कि उनके खिलाफ यह केस पूरी तरह झूठ की बुनियाद पर गढ़ा गया है. दोषी वो नहीं बल्कि कुछ आईपीएस अधिकारी हैं जो राजनेताओं को खुश कर उनसे नजदीकी बनाना चाहते थे. यानी नेताओं को खुश करने, उनसे नजदीकियां बनाने और विरोधी आईपीएस से अपनी दुश्मनी कोर्ट में निकालने के लिए उन लोगों ने अपनी मर्जी से यह झूठा केस बनाया है. इस केस से हमारा कोई लेना- देना नहीं है. हमें केस में गलत फंसाया गया है.
आरोपियों ने कोर्ट में कहा कि आईपीएस अधिकारियों के नेताओं को खुश करने की होड़ में उनके सभी उल्टे सीधे काम करवाने में आईपीएस अधिकारियों का तो कुछ नहीं बिगड़ता, लेकिन खामियाजा अधीनस्थ पुलिसकर्मी भुगतते हैं.
'नहीं दर्ज करवाई एफआईआर'
इन पुलिस अधिकारियों ने ये भी कहा कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में दर्ज एफआईआर ही फर्जी है. राजस्थान पुलिस के इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत कोर्ट में बयान दिए कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में दर्ज एफआईआर मेरी नहीं है, यह पूरी तरह फर्जी और झूठी है. मैंने कभी इस केस में रिपोर्ट या एफआईआर दर्ज नहीं करवाई. इस केस में किसी ने मेरे नाम का गलत इस्तेमाल किया है. मामले में दर्ज एफआईआर का मुझसे कोई संबंध नहीं है.
इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने कोर्ट को बताया कि जब FIR झूठी थी तो जांच एजेंसी ने भी मुझे इस केस में फंसाने के लिए झूठे सबूत और गवाह तैयार किए. सीबीआई ने न सिर्फ पब्लिक की ओर से झूठे गवाह तैयार किए, बल्कि पुलिसकर्मियों को भी डरा-धमका कर टॉर्चर कर मेरे खिलाफ बयान देने पर मजबूर किया.
सीबीआई ने पुलिस डीएसपी रणविजय सिंह, हिम्मत सिंह, भंवर सिंह हांड़ा और एडीएसपी सुधीर जोशी को डरा धमका कर टॉर्चर किया और मेरे खिलाफ सीआरपीसी की धारा 164 के तहत झूठे बयान करवाए.
गौरतलब है कि खुद इन पुलिसकर्मियों ने भी गत महीनों में ट्रायल के दौरान कोर्ट में हुई पेशी में इस बात का खुलासा किया था कि सीबीआई ने इसी केस में गिरफ्तार करने की धमकी देकर और टॉर्चर कर झूठे बयान दिलवाए थे.
हर आरोपी से किए गए 440 सवाल
मंगलवार पूरे दिन में आठ आरोपियों के धारा 313 के तहत कोर्ट में अलग-अलग बयान हुए. सभी आरोपियों से कोर्ट में 440 सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने जवाब दिया. कुछ जवाब तो आरोपी पहले से तैयार कर लाए थे.
क्या था केस?
आपको बता दें कि सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी का नवंबर 2005 में एनकाउंटर हुआ था. इस मामले की जांच और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात में इस केस की जांच को प्रभावित किया जा रहा था और केस को 2012 में मुंबई ट्रांसफर कर कहा था कि इस मामले की शुरू से अंत तक सुनवाई एक ही जज करेगा. हालांकि 2014 में ही जज जेटी उत्पत का ट्रांसफर कर दिया गया.
उत्पत के बाद इस केस में जज बृजगोपाल लोया को लाया गया. नियुक्ति के छह महीने बाद लोया की नागपुर में एक कार्यक्रम में मौत हो गई थी. जिसपर काफी विवाद हुआ था.