एक नेताजी की गैरत ने उन्हें एक रेस्टोरेंट में मुफ्तखोरी करने पर नहीं झिंझोड़ा, लेकिन जब एक वेटर ने उन्हीं नेताजी की गाड़ी का नंबर नोट कर लिया, तो बात दिल पे लग गई. यह मामला यूपी के लखनऊ का है, जहां एक दर्जा प्राप्त मंत्री और उसके गुंडों ने एक रेस्टोरेंट में सिर्फ़ इसलिए मारपीट और तोड़फोड़ की कि वेटर ने उनसे खाने का बिल मांग लिया था. दूसरी तरफ कर्नाटक में एक सांसद ने तो तवज्जो ना मिलने पर अस्पताल में डॉक्टरों से ही मारपीट शुरू कर दी.
यूपी के लखनऊ से लेकर कर्नाटक के कारवाड़ तक, लगता है पूरे देश में सत्ता का चाल और चरित्र एक ही जैसा हो गया है. इसमें सेवा की भावना कम और गुंडागर्दी ज्यादा है. सीसीटीवी में कैद गुंडागर्दी की ये तस्वीरें दरअसल उन नेताओं की हैं, जिन्हें आपके और हमारे जैसे लोगों को चुन कर सदन में भेजा है, ताकि वो जनता की सेवा कर सकें, लेकिन सेवा छोड़ कर ये कैसे जनता की छाती पर चढ़ बैठे हैं, दोनों घटनाएं इस बात की चीख-चीख कर गवाही दे रही हैं.
पहली घटना लखनऊ के गोमती नगर की है. यहां सपा के दर्जा प्राप्त मंत्री राम सिंह राणा और उनके समर्थक एक्शन में नज़र आए. इस गुस्से की वजह है पेटभर खा लेने के बाद वेटर का बिल मांगने की ग़लती कर लेना. खादी को लगी मुफ्तखोरी की ये लत कितनी खतरनाक हो सकती है, ये इस घटना से सामने आ रही है. कोई वेटर को गले से पकड़ कर धकेल रहा है, कोई पीट रहा है, तो कोई रेस्टरोंट में लगे कुर्सी और टेबल ही पलटने में जुटा है.
रेस्टरोंट के मुलाज़िमों की मानें तो नेताजी अपने दसियों साथियों के साथ इस होटल में खाने के लिए पहुंचे थे. लेकिन खाने के बाद जब बिल चुकाने की बारी आई तो हाथ झाड़ कर चलते बने. इस पर एक वेटर रेस्टोरेंट के बाहर गया और गाड़ियों के नंबर नोट करने लगा. मुफ्तखोरी जिन नेताओं के गैरत को ज़िंदा नहीं कर सकी, बस नंबर नोट कर लेने उनकी खुद्दारी ऊबाल मारने लगी. फिर क्या था, नेता जी अपनी चांडाल चौकड़ी के साथ रेस्टोरेंट के अंदर दोबारा घुस आए.
दूसरी घटना, कर्नाटक के कारवाड़ की है. यहां तो मामला और भी गंभीर है, क्योंकि यहां एक नेताजी ने गुस्से में आकर अस्पताल जैसी संवेदनशील जगह पर हंगामा और मारपीट शुरू कर दी है. सीसीटीवी में डॉक्टर का गिरेबान पकड़ कर घसीटते नजर आया शख्स कर्नाटक के बीजेपी एमपी अनंत कुमार हेगड़े हैं. नेताजी ने ये रौद्र रूप सिर्फ़ इसलिए धारण कर लिया है, क्योंकि अस्पताल में अपनी मां का इलाज करवाने पहुंचने के बाद उन्हें लगा कि डॉक्टर रिस्पांड नहीं कर रहे हैं.
बस तवज्जो नहीं मिलने से जनाब इतने आगबबूला हो गए कि खुद ही मारपीट पर उतारू हो गए. इस तरह उन्होंने एक-एक कर की डॉक्टरों को लहूलुहान कर दिया. एक सिस्टर अपने डॉक्टर को नेताजी के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश करती रही, लेकिन नेताजी के गुर्गे उस सिस्टर का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने आका से दूर कर दिए. लखनऊ में हुई वारदात पर एफआईआर तो दर्ज हो चुकी है, लेकिन कर्नाटक में नेताजी का ठौर कुछ इतना ज़्यादा है कि एक अदद कंप्लेंट तक नहीं लिखी गई है.