पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद को दुष्कर्म के मामले में जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई टिप्पणी की हैं और आरोप लगाने वाली छात्रा के आचरण पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा है कि दोनों लोगों ने अपनी सीमाएं लांघी, ऐसे में यह निर्णय करना मुश्किल है कि किसने किसका इस्तेमाल किया? कोर्ट ने कहा कि दोनों ने ही एक-दूसरे का इस्तेमाल किया.
स्वामी चिन्मयानंद पर लॉ कॉलेज की छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था, जिसके बाद चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. चिन्मयानंद 20 सितंबर 2019 से जेल में थे. बीते 3 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी.
चिन्मयानंद को जमानत देते हुए कोर्ट ने पीड़िता को लेकर कई सवाल खड़े किए. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने कहा, 'एक लड़की जिसकी वर्जिनिटी दांव पर थी, उसने अपने माता-पिता या कोर्ट के सामने एक शब्द नहीं बोला.' ये आश्चर्यजनक है.
कोर्ट ने आगे कहा, 'इतना ही नहीं, उस बुरे समय के दौरान लड़की ने खुद खुफिया कैमरे वाला चश्मा खरीदा, जिसके जरिए आरोपी की नग्न तस्वीरें ली गईं और वीडियो रिकॉर्ड किए गए और उनका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया गया और फिरौती की मांग की गई.'
यौन शोषण की घटना पर कोर्ट ने कहा कि उस दौरान दोनों लोगों ने अपनी सीमाएं लांघी, ऐसे में यह निर्णय करना मुश्किल है कि किसने किसका इस्तेमाल किया? कोर्ट ने कहा कि दोनों ने ही एक-दूसरे का इस्तेमाल किया.
चिन्मयानंद ने कराई थी एफआईआर
ये केस सामने आने के बाद स्वामी चिन्मयानंद ने लड़की और उसके दोस्तों पर ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए थे. पीड़िता के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद उसे जेल जाना पड़ा. इस पूरे मामले की जांच कर रही एसआईटी ने पांच करोड़ की फिरौती मांगने के आरोप में पीड़िता और उसके दोस्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. लड़की को दिसंबर में जमानत मिल गई थी.
अब कोर्ट ने लड़की से दुष्कर्म के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को भी जमानत दे दी है और जमानत देते हुए कोर्ट ने लड़की के आचरण और उसकी खामोशी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
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