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तमिलनाडुः पर्यावरण बचाना चाहता था इसलिए कर ली खुदकुशी

तमिलनाडु में एक 23 साल के युवक ने पर्यावरण की खातिर मौत को गले लगा लिया. के. जवाहर नाम के एक युवक ने तंजावुर नदी में कूद कर अपनी जान दे दी.

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के. जवाहर
के. जवाहर

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तमिलनाडु में एक 23 साल के युवक ने पर्यावरण की खातिर मौत को गले लगा लिया. के. जवाहर नाम के एक युवक ने तंजावुर नदी में कूद कर अपनी जान दे दी. जवाहर के खुदकुशी करने की वजह तब पता चली जब जवाहर का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उसने समाज को प्लास्टिक के खतरों के बारे में आगाह करते हुए जान देने की बात कही.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, घटना तमिलनाडु के त्रिची की है. 23 साल के जवाहर ने जब कहा कि वह पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है तो किसी को भी इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि वह इसके लिए मौत को गले लगा लेगा. पर्यावरण प्रेमी जवाहर ने प्लास्टिक बैन करने की मांग को लेकर आत्महत्या कर ली.

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जवाहर के पिता के. कुमारन के मुताबिक, जवाहर को बचपन से ही पर्यावरण से बहुत प्रेम था. जिसकी वजह से जवाहर ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पर्यावरण को बचाने के लिए निकल पड़ा. कम उम्र में ही जवाहर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से पर्यावरण को बचाने की कोशिश करने लगा था.

जवाहर राज्य के साथ ही देश भर में प्लास्टिक पर बैन की मांग कर रहा था. वहीं जवाहर बिना किसी ठोस योजना के शहरीकरण और मृदा प्रदूषण पर भी चिंता जताया करता था. एक बार जवाहर इस मुद्दे पर कलेक्ट्रेट पर भी धरने पर बैठा था. जवाहर के धरने पर बैठने का मकसद समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश देना था.

दरअसल पर्यावरण बचाने की चिंता में जवाहर अक्सर तवानग्रस्त रहने लगा था. सोमवार को जवाहर अचानक घर से गायब हो गया. परिजनों ने जवाहर को ढूंढने की काफी कोशिशें की मगर जवाहर का कुछ पता नहीं चल सका. जिसके बाद परिजनों को सूचना मिली कि जवाहर ने नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली है.

जवाहर के शव को नदी से बरामद कर लिया गया. पुलिस को जवाहर के फोन में एक रिकार्डिंग मिली. रिकार्डिंग में जवाहर कह रहा था, 'मैंने प्लास्टिक पर बैन लगवाने और प्रकृति को बचाने के लिए जान देने का फैसला कर लिया है. भारत की सवा सौ करोड़ जनता के लिए मेरा बलिदान बहुत कम है.'

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रिकार्डिंग में जवाहर ने अपनी आत्महत्या के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया. पुलिस सबूत के तौर पर मिली रिकार्डिंग के आधार पर मामले की जांच कर रही है. वहीं जवाहर के इस कदम से उसके परिजन और दोस्त सकते में हैं. उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि पर्यावरण को बचाने के लिए जवाहर ने अपनी जान दे दी.

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