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नरबलि देने वाले तांत्रिक को सजा-ए-मौत

ओड़िशा के जाजपुर की एक अदालत ने आठ साल के बच्चे की नरबलि देने के जुर्म में दोषी ठहराए गए तात्रिक को मौत की सजा सुनाई है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीवन वल्लभ दास ने सुकिंदा थानाक्षेत्र के दामोदरपुर निवासी श्रीकांत बाग की हत्या करने के जुर्म में पीतांबर गेपी को ये सजा सुनाई है.

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Symbolic Image
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ओड़िशा के जाजपुर की एक अदालत ने आठ साल के बच्चे की नरबलि देने के जुर्म में दोषी ठहराए गए तात्रिक को मौत की सजा सुनाई है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीवन वल्लभ दास ने सुकिंदा थानाक्षेत्र के दामोदरपुर निवासी श्रीकांत बाग की हत्या करने के जुर्म में पीतांबर गेपी को ये सजा सुनाई है.

जानकारी के मुताबिक, इच्छानगर पटना गांव में हुई इस घटना से इलाके में लोग स्तब्ध रह गए थे. गेपी नामक के इस तांत्रिक ने 11 फरवरी, 2010 को धारदार हथियार से बच्चे का गला रेतकर उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे.
 
पुलिस ने कहा था कि गेपी ने बच्चे को चॉकलेट का लालच देने के बाद इस अपराध को अंजाम दिया था. गांव के एक नाले से बच्चे का सिरकटा शव मिला था. बच्चे का सिर पूजा की कुछ सामग्री के साथ तांत्रिक के घर में गाड़ दिया गया था.
 
बच्चे के माता-पिता ने अपने बेटे की गुमशुदगी के बारे में 17 फरवरी, 2010 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने इस मामले की जांच के दौरान गेपी को पकड़ा था. अदालत ने 22 गवाहों की गवाही पर गौर करने के बाद सजा सुनाई है.

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