यूपी एटीएस और तेलंगाना पुलिस द्वारा पर्दाफाश किए गए आंतकी नेटवर्क के सदस्यों ने सनसनीखेज खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर उपलब्ध आतंक के साहित्य ने उन्हें आतंकी बनने के लिए प्रेरित किया था. सोशल मीडिया पर फैल रहे आतंक के जहर का असर का सच दिल दहलाने वाला है. नफरत की इस क्लास की वजह से नौजवान अपने ही देश के दुश्मन बन रहे हैं. आतंक के इस साइबर अटैक से निपटना खुफिया एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है.
आईएस का सरगना बगदादी अपने बचे खुचे लड़ाकों के साथ आखिरी जंग लड़ रहा है, लेकिन उसकी नापाक सोच हजारों किलोमीटर का सफर तय करके भारत के नौजवानों को गुमराह कर रही है. इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर से लेकर छोटे शहरों के लड़के भी हैं. लखनऊ एनकाउंटर में मारा गया सैफुल्ला कानपुर के बेहद साधारण परिवार का था. ऐसे में सवाल ये है कि यदि बगदादी के संगठन का कोई सदस्य भारत में मौजूद नहीं है, तो यहां आईएस के आतंक का जहर फैल कैसे रहा है.
सोशल मीडिया पर आतंक की पाठशाला
नौजवान आखिर क्यों अपना शहर, परिवार और देश छोड़कर नफरत और खून खराबे की मंजिल चुन रहे हैं. यदि सैफुल्लाह की बात करें तो वो पिता से डांट फटकार के बाद घर छोड़कर निकल पडा था. इसके बाद में आईएस के खुरासान मॉड्यूल के संपर्क में आ गया. यदि भोपाल ट्रेन ब्लास्ट के बाद जानकारी सीरिया भेजी जाती है, तो साफ है आतंक का नेटवर्क सोशल मीडिया के सहारे भारत मे अपने पांव पसार रहा है. खुरासान मॉड्यूल के सदस्य यहां आतंक की पाठशाला चला रहे थे.
नौजवानों को ऐसे बरगलाते हैं आतंकी
इस तरह भारत में आए बिना आईएसआईएस के आतंकी मासूम जिंदगियों के कातिल बन सकते हैं. आईएस का एक विंग सिर्फ और सिर्फ सोशल मीडिया पर दुनिया भर के नौजवानों को बरगलाने का काम करता है. इस जाल में पढ़े लिखे, अमीर घराने के युवा भी फंस जाते हैं और कम पढ़े लिखे भी. सोशल मीडिया पर आईएसआईएस का साहित्य, इस्लाम और जन्नत को लेकर लिखी गई बातों से युवा प्रभावित होते हैं और इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं.
FB के जरिए हिंसक विचार का प्रसार
दुबई से डिपोर्ट कर लाई गई अफशां ने भी ये माना था कि वो फेसबुक के जरिए नौजवानों को आईएस में आने के लिए उकसाती थी और आईएस से जुड़ी प्रचार की चीजें मुहैया कराती थी. आईएसआईएस के बढते प्रभाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर युवाओं से अपील की है कि मुस्लिम इस्लाम के जानकारों से मजहब के बारे में जानें. कोई गूगल से पढ़कर आलिम नहीं हो सकता. युवाओ को आतंकियों की हिंसक विचारधारा के जाल में फंसने से बचना चाहिए.