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महिला कांस्टेबल का यौन उत्पीड़न करता था जेलर, जांच में दोषी करार

महाराष्ट्र की ठाणे जेल में तत्कालीन जेलर हीरालाल जाधव वहां तैनात महिला कांस्टेबल का यौन उत्पीड़न करता था. पूर्व जेलर हीरालाल जाधव के खिलाफ यह बात साबित हो गई है. जांच कमेटी ने उसे दोषी पाया है. इस मामले की शिकायत के बाद ही आरोपी जेलर को सस्पेंड कर दिया गया था.

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जांच कमेटी ने जेलर जाधव को यौन उत्पीड़न का दोषी करार दिया है
जांच कमेटी ने जेलर जाधव को यौन उत्पीड़न का दोषी करार दिया है

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महाराष्ट्र की ठाणे जेल में तत्कालीन जेलर हीरालाल जाधव वहां तैनात महिला कांस्टेबल का यौन उत्पीड़न करता था. पूर्व जेलर हीरालाल जाधव के खिलाफ यह बात साबित हो गई है. जांच कमेटी ने उसे दोषी पाया है. इस मामले की शिकायत के बाद ही आरोपी जेलर को सस्पेंड कर दिया गया था.

हालांकि आरोपी हीरालाल जाधव ने उस पर लगे सारे आरोपो को ख़ारिज कर दिया है. इस संबंध में अभी राज्य सरकार की तरफ से भी एक जांच रिपोर्ट आना बाकी है.

जानकारी के मुताबिक, सितंबर 2016 में ठाणे जेल में तैनात 33 वर्षीय महिला कांस्टेबल ने तत्कालीन जेलर हीरालाल जाधव पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. उसकी शिकायत पर जेलर जाधव को सस्पेंड कर दिया गया था. उसके खिलाफ एक जांच कमेटी गठित की गई थी.

पीड़ित कांस्टेबल ने सबूत के तौर पर एक रिकॉर्डिंग जांच कमेटी के सामने प्रस्तुत की थी. जिसमें जेलर ने पीड़िता को जेल से बाहर मिलने के लिए उस पर दबाव डाला था. बताते चलें कि आरोपी जेलर इतना विवादित रहा है कि वह अपनी 20 साल की सर्विस में चार बार सस्पेंड हो चुका है.

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जेलर के खिलाफ बनाई गई जांच कमेटी में पुलिस उपआयुक्त सावंत, वकील अनुपमा पवार, कार्यकर्ता फरीदा लेम्बे और येरवाडा जेल के उप सुप्रीद अरुणा मुगतुवार शामिल हैं. कमेटी ने आरोपी के खिलाफ सील बंद रिपोर्ट जारी की है. जल्द ही रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए सरकार को सौंप दिया जाएगा.

उधर, आरोपी जाधव के मुताबिक महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण का स्टे होते हुए भी पीड़ित कांस्टेबल रिपोर्ट कैसे दे सकती है. जाधव ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. जाधव ने कई बार उसका निलंबन होने के बारे में कहा कि उसे सभी मामलों में बरी कर दिया गया है.

जाधव ने आरोप लगाया कि जेल के एक डीआईजी उसे बदनाम कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार नहीं चाहती की आरोपी जेलर वापस नियुक्त किया जाए. हालांकि इस मामले पर राज्य सरकार की रिपोर्ट के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा.

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