6 फरवरी की रात शातिर चोरों ने नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के घर पर हाथ साफ कर दिया. ये कोई ऐसा पहला मामला नहीं है, जिसमें नोबेल पुरुस्कार की रेप्लिका भी चोर साथ ले गए. ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहे हैं, जिनमें चोरों ने जाने-अनजाने इतिहास से जुड़ी विरासत को भी नहीं बख्शा. वो चाहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चश्मा हो या फिर गुरु टैगोर का नोबेल पुरुस्कार. चोरों ने हर जगह अपने हाथ का हुनर दिखाया है.
स्थानः दिल्ली
दिनांक- 7 फरवरी 2017
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के घर में चोरों ने हाथ साफ कर दिया. चोर नोबेल पुरस्कार की रेप्लिका भी अपने साथ ले गए हैं. घर से कुछ और कीमती समान, दस्तावेज गायब हैं. जानकारी के मुताबिक, अभी सत्यार्थी यूएस में हैं. कैलाश सत्यार्थी के कालका जी की कैलाश कॉलोनी में अरावली अपार्टमेंट में रहते हैं. 6 फरवरी की रात को चोरों ने उनके घर पर धावा बोल दिया. चोर उनके घर से लाखों का सामान ले गए. वारदात वाली रात कैलाश सत्यार्थी के घर पर ताला लगा हुआ था. चोरों ने बंद घर का ताला तोड़कर घर में रखे जेवरात और कैश पर हाथ साफ कर दिया. इतना ही नहीं जाते-जाते चोर कैलाश सत्यार्थी के नोबेल पुरस्कार की रेप्लिका भी अपने साथ ले गए. कैलाश सत्यार्थी फिलहाल विदेश में हैं. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है. बाल अधिकारों की आवाज उठाने वाले कैलाश सत्यार्थी को दिसंबर 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था.
स्थानः बनारस, उत्तर प्रदेश
दिनांक- 5 दिसंबर 2016
बीते साल के अंतिम माह में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के घर से 5 चांदी की शहनाइयां गायब होने का मामला सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच की थी. दरअसल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के बेटे काजिम हुसैन के चाहमामा-दालमंडी स्थित घर में इस चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया था. चुराई गई शहनाइयों में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की वो शहनाई भी शामिल है, जिससे वह मोहर्रम की 5वीं और 7वीं तारीख पर आंसुओं का नजराना पेश करते थे. चोर चांदी की इन शहनाइयों के साथ-साथ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को पुरुस्कार के रुप में मिली चांदी की कई तश्तरियां और लाखों रुपए के जेवरात भी चुरा ले गए थे. बाद में जब यह मामला खुला था तो इस मामले में उनके पोते का नाम आया था.
स्थानः वर्धा, महाराष्ट्र
दिनांक- नवबंर 2010
महाराष्ट्र के वर्धा जिले में वर्ष 2010 के नवंबर माह में सेवाग्राम के मशहूर गांधी आश्रम से गांधी जी का चश्मा चोरी हो गया था. इस संबंध में पुलिस ने मामला दर्ज कर लंबी जांच की थी. जून 1936 में गांधी जी नागपुर से 75 किलोमीटर दूर इस सेवाग्राम में आकर रहे थे. इस आश्रम में उनका और भी सामान मौजूद है. इस आश्रम में हर साल करीब तीन लाख से ज्यादा लोग आते हैं. लेकिन जानकारों के मुताबिक वहां सुरक्षा के खास इंतजाम नहीं हैं. गांधी का वह चश्मा, चरखा और अन्य सामान एक लकड़ी के बक्से में रखा गया था. यह सारा सामान बापू के तीसरे बेटे रामदास की पत्नी निर्मला गांधी ने आश्रम को दान किया था.
स्थानः कोलकाता
दिनांक- 2004
वर्ष 2004 में कोलकाता के विश्व भारती विश्वविद्यालय के संग्रहालय से गुरु रवींद्रनाथ टैगोर का नोबेल पुरुस्कार चोरी हो गया था. इस मामले में सरकार ने एक एसआईटी का गठन किया था. इस मामले में एसआईटी की विफलता के बाद केस सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. लेकिन सीबीआई भी नाकाम साबित हुई और यह केस 2007 में बंद कर दिया गया था. हालांकि राजनीतिक दबाव के चलते वर्ष 2008 में इस केस को दोबारा खोला गया था लेकिन वर्ष 2009 में इसे फिर से बंद कर दिया गया था. 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरुस्कार से नवाजा गया था.