तमिलनाडु के तूतीकोरिन में पिता-पुत्र की कस्टोडियल मौत के बाद पुलिस बर्बरता का एक और मामला सामने आया है. पीड़ित पादरी लाजरेज ने कहा कि उसी सथानकुलम थाना के पुलिस अधिकारियों की बर्बरता का वह भी शिकार बने हैं जहां पिता-पुत्र की कस्टोडियल मौत का मामला सामने आया था. पादरी लाजरेज के साथ इस फरवरी में पुलिस उत्पीड़न की घटना हुई थी.
पादरी लाजरेज ने बताया कि वह और उनकी टीम के अन्य सदस्य 21 फरवरी 2020 को पर्चा बांट रहे थे. उसी दौरान सथानकुलम पुलिस उन्हें उठाकर थाने लेकर गई. उन्होंने बताया कि उस दौरान थाने में एसआई रघुगणेश ने उन्हें ताबड़तोड़ थप्पड़ मारे और घुटने के बल बैठा कर डंडों से पिटाई की जिससे उन्हें काफी चोट आई थी.
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पादरी लाजरेज ने बताया कि उन्हें और उनकी टीम के 8 लोगों को शाम 5.30 बजे तक थाने में बंद रखा गया. क्रिश्चियन काउंसिल और स्थानीय लोगों ने जब आवाज उठाई तो उन्हें थाने से छोड़ा गया था.
इंडिया टुडे ने थूथुकोडी के पादरी लाजरेज से बातचीत की जिसमें उन्होंने सथानकुलम पुलिस की बर्बरता की पूरी कहानी बयां की. उन्होंने बताया कि एसआई रघुगणेश ने उन्हें बहुत मारा पीटा, एसआई बालाकृष्णन ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया और इंस्पेक्टर श्रीधर ही थे, जिन्होंने उन्हें और उनकी टीम को हवालात में बंद करने का आदेश दिया था.
पादरी लाजरेज ने बताया कि किसी ने हमारे खिलाफ शिकायत की थी. लेकिन हमने कुछ भी गलत नहीं किया था. हम लोग वहां पर्चे बांट रहे और लोगों से अपील कर रहे थे. एसआई बालाकृष्णन आए और हमें थाने लेकर गए. मेरे साथ और 8 लोग थे. थाने में घुसते उससे पहले ही एसआई रघुगणेश ने थप्पड़ों से मारना शुरू कर दिया.
पादरी लाजरेज ने बताया कि उन्होंने इस दौरान उनसे अभद्र व्यवहार किया. उन्होंने बताया कि वे हमें थाने के अंदर ले गए. पूछा कि स्थानीय पादरी कौन है. जब मैंने बताया कि मैं हूं तो मुझे 2-3 बार थप्पड़ मारा. एसआई रघुगणेश ने मुझे झुका दिया और अपनी कोहनी से मेरी पीठ पर मारने लगे. जब मैं दर्द के कारण गिर गया, तो उसने लाठी से मेरी पीठ पर मारने लगा. मेरी जांघों से खून बह रहा था.
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पादरी लाजरेज ने बताया कि बालाकृष्णन ने हम सभी को लॉकअप में डाल दिया. इंस्पेक्टर श्रीधर ने हमें लॉकअप में रहने के लिए कहा और हमें धमकी दी. उन्होंने कहा कि वे हमारे खिलाफ मामला दर्ज करेंगे. बाद में हमारे गांव के कई लोग थाने पहुंचे ईसाई नेता भी आए और हमारी ओर से बोले. उसके बाद हमें छोड़ा गया.
पादरी लाजरेज ने बताया, 'मुझे 22 फरवरी को तिरुनेलवेली के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 23 तारीख को उन्होंने मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया. जान से मारने की धमकियां भी मिलीं.' क्या आपने उनके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराई है? इस पर पादरी ने कहा कि हमने रघुगणेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमने मानवाधिकार और अल्पसंख्यक आयोग को भी याचिका दी. एक बार पूछताछ हुई लेकिन कोरोना के कारण यह केस लंबित है.