यूपी में मुरादाबाद के नानकार गांव में दो बच्चों के लिए एक कार ही कब्र बन गई. काशिफ और शाहरान नामक बच्चे खेलते हुए गांव के बाहर कार में जा पहुंचे. खेल-खेल में अंदर घुसे तो फिर जिंदा नहीं निकल सके. उधर खोज जारी थी, तो इधर बच्चों की सांसे जिंदगी से नाता तोड़ रही थी. लोग जबतर कार तक पहुंचते दोनों बच्चे खुदा के प्यारे हो चुके थे.
मृतक काशिफ के पिता इमरान ने बताया कि बच्चे नल पर नहाकर आए थे. उन्होंने हमारे साथ खाना खाया और खेलने चले गए. हमें लगा कि बच्चे यहीं कही खेल रहे होगें, लेकिन काफी देर तक नहीं आए तो खोजबीन शुरू की गई. शायद उपर वाले ने चार साले के मासूमों के लिए बस इतनी सी ही जिंदगी की नेमत लिखी थी.
बच्चों की दर्दनाक मौत पर पुलिस भी गांव पहुंची, लेकिन परिवार वालों को अब थाना पुलिस से क्या मिलता. उनकी तो सबसे बडी अमानत हमेशा के लिए हाथ से फिसल चुकी थी. आंसू आंखों से तो सूख जाएंगे, लेकिन मां-बाप के बेचैन दिल को शायद ही कभी करार मिले. इसे लापरवाही कहें या बदकिस्मती बच्चों की मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है.