2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक सस्पेंडेड पुलिस इंस्पेक्टर ने बड़ा खुलासा किया है. जांच टीम के सदस्य रह चुके इंस्पेक्टर ने अदालत को बताया कि ब्लास्ट के दो आरोपी जिन्हें फरार बताया जा रहा है, दरअसल महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉयड (एटीएस) द्वारा उन्हें साल 2008 में ही मार गिराया गया था. इतना ही नहीं, दोनों के शवों को 26/11 हमले में मारे गए अज्ञात लोगों के शवों के साथ दफना दिया गया था.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, सस्पेंड हो चुके इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने सोलापुर कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बताया कि मालेगांव ब्लास्ट के दो आरोपी संदीप डांगे और रामजी कलसंग्रा की साल 2008 में पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. महाराष्ट्र एटीएस आरोपियों की हत्या के लिए जिम्मेदार है. मामला दबाने के लिए आरोपियों की लाश को 26/11 हमले में मारे गए अज्ञात शवों के साथ दफना दिया गया था.
साथ ही एटीएस ने दोनों आरोपियों को फरार घोषित कर दिया. वर्तमान में भी संदीप डांगे और रामजी कलसंग्रा के नाम एटीएस की फरार अपराधियों की फेहरिस्त में दर्ज हैं. वहीं मामले में दायर की गई चार्जशीट में भी दोनों आरोपियों को फरार बताया गया है. महबूब मुजावर की माने तो राज्य के 3 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें हत्या के खुलासे से रोकने की कोशिश की थी. हालांकि मुजावर ने अपने हलफनामे में किसी का भी नाम नहीं लिया है.
अदालत में करेंगे नामों का खुलासा
उन्होंने अदालत में कथित नामों का जिक्र करने की बात कही. बताते चलें कि इंस्पेक्टर महबूब मुजावर मार्च 2009 तक मालेगांव ब्लास्ट की जांच टीम का हिस्सा थे. आय से अधिक संपत्ति और आर्म्स एक्ट से जुड़े दो मामलों में मुजावर का नाम आने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. मुजावर की माने तो संदीप डांगे और रामजी कलसंग्रा को उसी दिन गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को हिरासत में लिया गया था.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित जेल में बंद
संदीप और रामजी को पहले नासिक और फिर वहां से मुंबई ले जाया गया, जहां पुलिस कस्टडी में उनकी हत्या कर दी गई. सोशल एक्टिविस्ट नीरज गुंडे की सलाह के बाद ही मुजावर ने अदालत में हलफनामा दायर कर इस मामले का खुलासा किया. नीरज गुंडे ने कहा, 'जब हमने दोनों अज्ञात शवों की तस्वीरों को देखा तो हमें उन तस्वीरों में फरार आरोपियों (एटीएस के मुताबिक) से जुड़ी कई समानताएं मिली.' बता दें कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल श्रीकांत पुरोहित ब्लास्ट की साजिश के आरोप में जेल में बंद हैं.
ब्लास्ट में मारे गए थे 6 लोग, कई हुए थे घायल
स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर अविनाश रसल ने कहा कि मुजावर के खुलासे ने इस केस को एक नई दिशा की ओर मोड़ दिया है. पहली बार किसी शख्स ने इस मामले में खुलासा किया है कि जिन दो आरोपियों को फरार बताया जा रहा है, वह मर चुके हैं. रसल ने कहा, अदालत अगर इस खुलासे की जांच के आदेश दे तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं. गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे जबकि कई लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे. इस मामले में दायर की गई चार्जशीट में 14 आरोपियों के नाम थे.