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योगी राज में 'अब तक 56': एनकाउंटर में दो इनामी बदमाश ढेर

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के खिलाफ शुरू किया गया ऑपरेशन ऑलाउट बदस्तूर जारी है. यूपी पुलिस ने अब तक 56 अपराधियों को मार गिराया है.

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बदस्तूर जारी है ऑपरेशन ऑलाउट
बदस्तूर जारी है ऑपरेशन ऑलाउट

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उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ द्वारा अपराधियों के खिलाफ शुरू किया गया ऑपरेशन ऑलाउट बदस्तूर जारी है. यूपी पुलिस ने अब तक 56 अपराधियों को मार गिराया है. ताजा एनकाउंटर मेरठ में हुआ है, जहां दो इनामी बदमाशों को पुलिस ने मार गिराया. इनके सिर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था.

जानकारी के मुताबिक, सोमवार की आधी रात यूपी एसटीएफ ने 25-25 हजार के दो इनामी बदमाशों को मार मुठभेड़ में मार गिराया. दोनों के खिलाफ दर्जनों केस चल रहे थे. इनकी पहचान हिमांशु उर्फ टाइगर और धीरज के रूप में हुई है. इन पर मेरठ-गाजियाबाद हाइवे पर एक दुल्हन के साथ लूटपाट और हत्या का आरोप भी था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले 11 महीने में करीब 1350 एनकाउंटर किए हैं. यानी हर महीने सौ से भी ज़्यादा एनकाउंटर. इस दौरान 3091 वॉन्टेड अपराधी गिरफ्तार किए गए. जबकि 43 अपराधियों को मार गिराया गया. यूपी पुलिस का दावा है कि मरने वालों बदमाशों में 50 फीसदी इनामी अपराधी थे. जिन्हें पुलिस शिद्दत से तलाश रही थी.

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यूपी पुलिस के इन आंकड़ों ने अपराधियों में इस कदर खौफ भर दिया कि पुलिस एक्शन के डर से पिछले 10 महीने में 5409 अपराधियों ने बाकायदा अदालत से अपनी ज़मानत ही रद्द कराई है. ताकि ना वो बाहर आएं और ना गोली खाएं. है ना कमाल? एक तरफ़ यूपी की सरकारी बंदूकें चलती ही नहीं थी, और अब अचानक वही बंदूकें दनादन गोलियां उगल रही हैं.

यूपी पुलिस द्वारा लगातार किए जा रहे एनकाउंटर सवालों के घेरे में भी आ गए हैं. पिछले दिनों मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने दावा किया था कि हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश में न्यायेतर हत्याएं हुई हैं. इनमें मरने वालों में ज्यादातर दलित और मुसलमान थे. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्वतंत्र टीमों द्वारा जांच की मांग की गई है.

'सिटीजन एगेंस्ट हेट' ग्रुप की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की मुठभेड़ों की 16 घटनाओं और मेवात क्षेत्र के 12 मामलों का ब्योरा है. ये मुठभेड़ 2017-18 में हुई थीं. उच्चतम न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण ने उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों को मर्डर करार दिया है. उन्होंने कहा कि एनएचआरसी को अपनी स्वतंत्र टीमें भेजकर इस मामले की जांच करानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ये न्यायेतर हत्याएं हैं. पुलिस द्वारा की गई ऐसी हत्याओं की विभाग के कनिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है. उसे स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता. एनएचआरसी को अपनी स्वतंत्र टीमों के मार्फत सभी ऐसे मामलों की जांच करानी चाहिए. इसके लिए 'सिटीजन एगेंस्ट हेट' ग्रुप एनएचआरसी के अध्यक्ष एचएल दत्तू से मिला.

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योगी सरकार के एक साल से अधिक पूरे हो चुके हैं. बीते 12 महीनों में 1200 से अधिक एनकाउंटर हुए हैं. इनमें 56 बदमाशों को मार गिराया गया है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि एनकाउंटर की झड़ी लगने से यूपी के क्राइम ग्राफ में कोई बहुत भारी कमी आ गई हो. एनकाउंटर राज में आम जनता की तो छोड़िए, सत्ताधारी दल बीजेपी के विधायक भी डरे हुए हैं.

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