अमेरिका ने पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो बड़े नेताओं को वैश्विक आतंकी करार दे दिया है. इस आतंकी संगठन की छात्र इकाई पर प्रतिबंध लगा दिया है. 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देने वाले लश्कर पर शिकंजा कस दिया है. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने मोहम्मद सरवर और शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी करार दिया.
लश्कर नेता सरवर और महमूद पाकिस्तान से हैं. लश्कर-ए-तैयबा की छात्र इकाई अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकी संगठन का दर्जा दे दिया. यह छात्र इकाई मूल संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर लोगों की भर्ती और युवा गतिविधियों के आयोजन का काम करती है. अल-मुहम्मदिया स्टूडेंट्स लश्कर की छात्र इकाई है.
दिसंबर 2001 में अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन करार दे दिया था. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि आतंकी संगठन का दर्जा दिए जाने के बाद से लश्कर-ए-तैयबा लगातार अपना नाम बदलता रहा है. प्रतिबंधों से बचने के लिए मुखौटा संगठन बनाता रहा है. लश्कर के दोनों प्रतिबंधित नेता आतंकी संगठन के लिए धन जुटाने का काम करते हैं.
विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के कार्यवाहक निदेशक जॉन ई स्मिथ ने कहा कि हमारे इस कदम का उद्देश्य उनकी गतिविधियों को उजागर करना ही नहीं है, बल्कि लश्कर के आर्थिक तंत्र और आतंकी हमले करने की उसकी क्षमता को बाधित करने का भी है. सरवर 10 साल से अधिक समय तक लाहौर में लश्कर-ए-तैयबा का एक वरिष्ठ पदाधिकारी रहा है.
लाहौर में मोहम्मद सरवर लश्कर-ए-तैयबा का अमीर है. वह जनवरी 2015 से इस पद पर है. लाहौर में लश्कर के अमीर के तौर पर सरवर ने संगठन के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क रखा हुआ है. 2012 और 2013 के बीच सरवर ने लश्कर के विदेश मामलों के प्रमुख हाफिज अब्दुल रहमान मक्की के साथ काम किया, जिसने अपनी यात्रा के लिए धन देने के लिए कहा था.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अपने इस पद के आधार पर सरवर लश्कर-ए-तैयबा के लिए धन जुटाने की गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल रहा है. वह लश्कर-ए-तैयबा की ओर से धन जुटाने और पहुंचाने के लिए पाकिस्तान में औपचारिक वित्तीय प्रणाली का इस्तेमाल करता रहा है. दूसरी ओर, महमूद लंबे समय से कराची में लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ सदस्य रहा है.
शाहिद महमूद साल 2007 से संगठन के साथ जुड़ा. जून 2015 से जून 2016 तक लश्कर-ए-तैयबा की धन जुटाने वाली शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का उपाध्यक्ष रहा है. एफआईएफ को पहले लश्कर-ए-तैयबा का ही एक दूसरा नाम करार दिया गया था. महमूद पहले लश्कर के विदेशी अभियान दल का हिस्सा था. इस दल का नेतृत्व साजिद मीर के हाथ में था.