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अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम को सता रहा है पुश्तैनी जमीन पर कब्जे का डर

अपनी दहशत से पूरे हिन्दुस्तान को दहला कर रखने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम को अब अपनी पुस्तैनी जमीन के कब्जा होने का डर सताने लगा है.

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अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम
अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम

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अपनी दहशत से पूरे हिन्दुस्तान को दहला कर रखने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम को अब अपनी पुस्तैनी जमीन के कब्जा होने का डर सताने लगा है. जेल में बंद अबु सलेम ने यूपी के आजमगढ के सरायमीर थाना पुलिस को पत्र लिख कर पुलिस से इस मामले में हस्तक्षेप करने और न्याय दिलाने की मांग की है.

अपने प्रार्थना पत्र में अबु सलेम ने उल्लेख किया है कि उसकी पुश्तैनी गांव की जमीन आराजी सं 738/02 क्षेत्रफल 160 है. जमीन उसके और भाइयों के नाम नकल खतौनी में दर्ज है. इस नकल खतौनी की प्रति 30 मार्च 2013 को उसके परिवारवालों ने लिया था. उस समय नकल खतौनी में उनका नाम दर्ज था.

उसके मुताबिक, अभी हालही में परिवार के लोगों ने दूसरी नकल निकाली तो पता चला कि उस भूखंड आराजी पर मोहम्मद नफीस, मोम्मद शौकत, सरवरी, मोहिउददीन, एखलाख और नदीम अख्तर का नाम दर्ज हो गया. अबु सलेम ने आरोप लगाया है कि ये लोग जालसाजी कर उनकी जमीन हड़पना चाहते हैं.

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अबु सलेम ने उपरोक्त लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्यवाही की मांग की है. सरायमीर बाजार में स्थित इस जमीन पर माल का निर्माण चल रहा है. शिकायती पत्र मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिती का जायजा लिया. दोनो पक्षों को बुलाकर पूरी स्थिती जानने का प्रयास किया है.

इस मामले में दूसरा पक्ष जिसका वर्तमान समय में नाम दर्ज है, उनका कहना है कि उनके द्वारा इस जमीन को बैनामा वश 2002 में लिया गया है. इस प्रकरण के सामने आने से सरायमीरक्षेत्र में सरगर्मी तेज है. अबु सलेम पुत्र अब्दुल क्यूम पुर्तगाल से प्रत्यपर्ण के बाद मुंबई की एक जेल में बंद है.

बताते चलें कि अबू सलेम का जन्म 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर गांव में हुआ था. उसकी जन्मतिथि को लेकर सीबीआई और मुंबई पुलिस के बीच मतभेद हैं. अबू सलेम का पूरा नाम अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी है. उसे अकील अहमद आजमी, कैप्टन और अबू समान के नाम से भी जाना जाता है.

अबू के पिता अब्दुल क्यूम एक जाने माने वकील थे. मगर एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद अबू का परिवार टूट गया. वह चार भाईयों में दूसरे स्थान पर था. पिता की मौत के बाद अबू का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गया. घर में भारी परेशानी आ गई. जिसके चलते अबू सलेम ने पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू कर दिया.

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अबू सलेम ने आजमगढ़ में ही एक मैकेनिक के यहां काम करना शुरू कर दिया. लेकिन जल्द वह काम के लिए दिल्ली आ गया. यहां उसने मैकेनिक का काम करने के बाद टैक्सी चलाना शुरू किया. लेकिन वह अपना और परिवार का गुजारा नहीं कर पा रहा था. इसलिए 80 के दशक में उसने मुंबई का रुख कर लिया. वहां जाकर भी टैक्सी चलाने लगा.

मुंबई में कुछ माह बाद ही अबू की मुलाकात दाऊद इब्राहिम के लोगों से हुई. पहले मामला दुआ सलाम तक रहा लेकिन जल्द ही उसने डी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया. उसके साथ उसका चचेरा भाई अख्तर भी शामिल था. यह जुर्म की दुनिया में उसका पहला कदम था. पहले वह आम कारिंदे की तरह काम किया, लेकिन जल्द ही आगे बढ़ गया.

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