केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2015 को मंजूरी दे सकती है. यह मौजूदा कानून का स्थान लेगा और अनुचित व्यापार व्यवहार को रोकने के लिए एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करेगा.
चालू मानसून सत्र में पारित कराने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल की बैठक के एजेंडे में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015 शामिल है. मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय संसद के चालू मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश करने की तैयारी कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित नया कानून
यह नया विधेयक 29 वर्ष पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून का स्थान लेगा. नया विधेयक अमेरिका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर उपभोक्ताओं की शिकायतों के तत्काल निपटान के लिए एक उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण तैयार करने का लक्ष्य रखता है.
उप्भोक्ताओं की शिकायत पर तुरंत सुनवाई
उपभोक्ताओं को सुरक्षित उत्पाद सुनिश्चित करने के लिए विधेयक में उत्पाद उत्तरदायित्व का एक प्रावधान है तथा नियामक प्राधिकरण को पर्याप्त अधिकार देता है कि अगर किसी उपभोक्ता की शिकायत एक से अधिक व्यक्तियों को प्रभावित करती है तो वह उत्पाद की वापसी करा सकता है और लाइसेंस रद्द कर सकता है.
कड़ी सजा का प्रावधान
उपभोक्ता अदालत के मामलों के त्वरित निपटान के लिए विधेयक में विवाद सुलझाने के लिए वैकल्पिक मार्ग के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव है. साथ ही इसमें सस्ता न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया के सरलीकरण का प्रस्ताव भी है. सूत्रों ने कहा कि विधेयक में कुछ मामलों में आजीवन कारावास सहित कठोर दंड की व्यवस्था है तथा ऑनलाइन शॉपिंग पर उपभोक्ताओं को पर्याप्त संरक्षण देने का प्रावधान है.