उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून को बने 7 महीने हो चुके हैं. कानून बनने के 7 महीने बाद भी अब तक उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के 50 मामले आ चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा मामले मेरठ जोन में दर्ज हुए हैं. इस लिहाज से हर महीने प्रदेश भर में 7 शिकायतें धर्मांतरण की मिल रही हैं. बीते सप्ताह यूपी एटीएस के द्वारा मूक बधिर बच्चों और महिलाओं का धर्मांतरण कराने वालों की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश में गैर-कानूनी ढंग से धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानून की चर्चा शुरू हो गई है.
कानून बनने के बाद प्रदेश में कार्रवाई की बात करें तो अब तक उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण की 50 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. प्रदेश सरकार ने बीते साल 27 नवंबर को विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश लागू किया था. डराकर, धमकाकर, शादी का लालच देकर हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए इस कानून के तहत दर्ज 50 एफआईआर में सबसे ज्यादा 12 एफआईआर मेरठ जोन में, 10 बरेली जोन, 7 गोरखपुर जोन में दर्ज हुई हैं.
50 मामलों में 22 मामलों में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. जबकि 3 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है. 25 मामलों की विवेचना की जा रही है. वहीं आरोपियों की गिरफ्तारी की बात करें तो पुलिस ने अब तक 78 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 5 ने कोर्ट में सरेंडर किया है.
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फिलहाल, 67 आरोपी जेल में बंद हैं, जबकि 16 जमानत पर बाहर चल रहे हैं. लेकिन अभी 25 आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इन सबकी तलाश जारी है. 7 महीने में धर्मांतरण के 50 मुकदमे और हर महीने 7 मामले सामने आने पर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि कानून बनने के बाद की जा रही निष्पक्ष कार्रवाई का ही नतीजा है कि पुलिस के विवेचना में नामजद आरोपियों में 16 ऐसे भी थे जो गलत नामजद किए गए. पुलिस ने विवेचना के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी. लेकिन धमकाकर प्रलोभन देकर या शादी का लालच देकर, धर्म छिपाकर शारीरिक शोषण करने वालों पर कार्रवाई जारी रहेगी.
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फिलहाल, यूपी एटीएस उत्तर प्रदेश समेत आठ राज्यों में फैले धर्मांतरण के इस रैकेट पर काम कर रही है. जो भी शामिल होगा उसकी गिरफ्तारी होगी.