उत्तर प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर सरकार काफी चिंतित है. सूबे के मुख्यमंत्री के निर्देश पर गृह विभाग और पुलिस इस दिशा में नई कार्य योजना बना रही है. पुलिस का इरादा तो प्रदेश के सभी बड़े राज्यों में साइबर थाने बनाने का भी है. सरकार किसी भी सूरत में साइबर अपराधियों पर अंकुश लगाना चाहती है.
सोशल मीडिया के गुंडों पर लगाम
सरकार की पहली नजर उन असामाजिक तत्वों पर है, जो सोशल मीडिया पर अफवाह फैला कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों से निपटने के लिये यूपी पुलिस ने एक नई पहल की है. पुलिस अब साइबर स्पेस में एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस अफसरों की तैनाती करेगी. जो सोशल मीडिया पर नजर रखने की जिम्मेदारी निभाएंगे. इस काम जिम्मा ऐसे नौजवानों को दिया जाएगा, जो लैपटॉप से लेकर स्मार्टफोन पर चौबीसों घंटे सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप जैसे एप्स पर नजर रखेंगे ताकि पुलिस अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा कस सके. पुलिस का इरादा सोशल मीडिया पर सक्रिय डिजिटल वॉलंटियर्स के जरिये एक ऐसी व्यवस्था बनाने का जिसके रहते अफवाह फैलाने वाले शरारती तत्वों पर नजर रखी जा सके.
डिजिटल वॉलंटियर्स बनाने की तैयारी
चाहे बात व्हाट्सऐप और फेसबुक की हो या फिर ट्विटर, यू-ट्यूब और इंस्टाग्राम की, सभी पर पुलिस के एसपीओ निगरानी करेंगे. सोशल मीडिया का दुरुपयोग साइबर स्पेस में है. तो साइबर स्पेस में जो इन्फॉर्मेशन शेयर हुई है, उसे कंट्रोल करने के लिये साइबर स्पेस में पुलिस को काउंटर करना होगा. यही काम अब यूपी पुलिस के डिजिटल वॉलंटियर्स करेंगे. दरअसल पुलिस अफसरों के अलावा सोशल मीडिया और इंटरनेट की समझ कम ही पुलिसवालों में थी. ऐसे में तेजी से बढ़ती सोशल मीडिया की पहुंच और उसके गलत इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिये पुलिस के पास संसाधन नहीं थे. मगर अब स्पेशल पुलिस अफसर या फिर डिजिटल वॉलंटियर्स की नियुक्ति के बाद पुलिस का काम बेहद आसान हो जाएगा. इनकी तैनाती थाना स्तर तक की जाएगी.
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यूपी पुलिस का नया सॉफ्टवेयर
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आसमां यानी एडवांस्ड एप्लिकेशन फॉर सोशल मीडिया एनैलिटिक्स नाम से एक सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसके जरिये सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले किसी भी शख्स को या फिर उसकी पोस्ट को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है. गड़बड़ी फैलाने वाला कोई पोस्ट किस जिले के किस कम्प्यूटर या फिर मोबाइल से पोस्ट या फिर शेयर किया गया है, इसका पता भी आसानी से लगाया जा सकता है. संगीन मामलों को राजधानी लखनऊ में बने एसएमआरसी यानी सोशल मीडिया कमांड एंड रिसर्च सेंटर भी भेजा जा सकता है. जहां से जरूरत पड़ने पर उस मामले को दिल्ली में सीईआरटी यानी कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के पास भी भेजा जा सकता है. राज्य सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था के जरिये सांप्रदायिक दंगों और अफवाहों के फैलने पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकेगी. और ऐसा करने वाले अपराधी भी आसानी से पकड़े जाएंगे.
बनेंगे साइबर थाने और लैब
प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने के लिए साइबर लैब और साइबर थाने भी खोले जाएंगे. जिसकी शुरूआत राजधानी लखनऊ और नोएडा से होगी. इस काम के लिए विभाग में अलग सेल बनाया गया है. इससे साइबर क्राइम की लम्बित विवेचनाओं का निस्तारण समयबद्ध और गुणवत्ता के साथ होगा. ऐसे मामलों में दर्ज एफआईआर की विवेचना कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि साम्प्रदायिक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके.
नया कानून बनाएगी यूपी सरकार
सूबे में साइबर अपराधों का ग्राफ बढ़ने की बात को सरकार भी मानती है. इसलिए हालात को काबू में करने के लिये राज्य स्तर पर अलग से कानून बनाने पर विचार किया जा रहा है. प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां विधान सभा में बता चुके हैं कि राज्य सरकार ने गृह विभाग को अलग साइबर अपराध कानून बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि ऐसे अपराधों की बढ़ती तादाद पर रोक लग सके. गृह विभाग इस दिशा में कार्य कर रहा है.