उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी का नाम इन दिनों चर्चाओं में है. वजह है उनकी उत्तराखंड यात्रा और फिर गिरफ्तारी. हालांकि मंगलवार को उन्हें सशर्त जमानत भी मिल गई. अमनमणि और विवादों का नाता पुराना है. वह यूपी के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं. उनके पिता इस वक्त चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. अमनमणि भी अपने पिता के नक्शेकदम पर ही चल रहे हैं.
अमनमणि त्रिपाठी ने अपना मन बहलाने के लिए सीएम योगी के नाम का सहारा भी लिया और अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल भी किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश की सीमा लांघकर उत्तराखंड में प्रवेश किया, जो कि अब जांच के दायरे में है. दोनों ही राज्यों की सरकारें इस बात पर जांच की बात कह रही हैं.
हैरान करने वाली बात ये है कि लॉकडाउन के दौरान कैसे विधायक अमनमणि त्रिपाठी यूपी के महाराजगंज स्थित अपना विधानसभा क्षेत्र छोड़कर राज्य की सीमा से बाहर निकल गए. और इस बात की भनक यूपी पुलिस और सरकार को नहीं लगी. जाहिर इसके पीछे उनका नाम और राजनीतिक रसूख ही सबसे बड़ी वजह हो सकता है.
अब ये बात तो थी उत्तर प्रदेश की, लेकिन अहम सवाल ये है कि यूपी और उत्तराखंड के सभी बॉर्डर सील हैं. ना कोई वहां से आ सकता है और ना ही जा सकता है, तो ऐसे में यूपी के विधायक अमनमणि त्रिपाठी यूपी से उत्तराखंड में कैसे पहुंच गए.
जब मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो दोनों राज्यों की सरकार जांच की बात कर रही हैं. लेकिन ये कोई नहीं बता रहा है कि अमनमणि त्रिपाठी का काफिला बॉर्डर सील होने के बावजूद एक राज्य से दूसरे राज्य में दाखिल कैसे हो गया. जबकि दोनों तरफ दोनों राज्यों के सुरक्षाकर्मी तैनात थे. बॉर्डर सील था.
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मामला यहीं खत्म नहीं हो जाता. विधायक ने सीधे सरकार के आला अफसरों से संपर्क साधा. यूपी के सीएम योगी का नाम इस्तेमाल किया. लेकिन उत्तराखंड के अधिकारियों ने क्यों एक बार भी यूपी के सीएम ऑफिस से इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश नहीं की. अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी ने उनके नाम से अनुमति पत्र जारी किया. बाकायदा उन्हें पूरा प्रोटोकॉल दिया दिया.
इस मामले का खुलासा कभी ना होता, मगर विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपनी आदत से मजबूर थे. वो कर्णप्रयाग में अधिकारियों से उलझ गए. अपना रसूख झाड़ने लगे. उनकी ये हरकत वहां स्थानीय पत्रकारों की जानकारी में आ गई और सारा मामला खुल गया. अब उत्तराखंड सरकार अपनी लापरवाही को दबाने का प्रयास कर रही है. विधायक अमनमणि त्रिपाठी को काफिले समेत यूपी के बॉर्डर पर छोड़ दिया गया. मामले के जांच के आदेश दिए गए हैं.
ऐसा ही हाल यूपी सरकार का भी है. उत्तराखंड से लौटे विधायक को आनन-फानन में बिजनौर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन कोर्ट में पेश किया. वहां से अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली. साथ ही शर्त लगा दी कि विधायक और उनके साथियों को 14 दिन के लिए क्वारनटीन किया जाए. लेकिन अब दोनों राज्यों की सरकारें इस मामले पर जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रही हैं.
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ये था पूरा मामला
दरअसल, अमनमणि ने लॉकडाउन से बोर होकर पहाड़ों में घूमने का कार्यक्रम बनाया था. लेकिन इस योजना को अमली जामा पहनना थोड़ा सा मुश्किल था, लिहाजा अमनमणि त्रिपाठी ने अपने रसूख का फायदा उठाया और उत्तराखंड सरकार में जुगत लगाकर यात्रा के लिए एक विशेष पास हासिल कर लिया. उनके पास पर देहरादून से श्रीनगर, श्रीनगर से बद्रीनाथ, बद्रीनाथ से केदारनाथ और फिर केदारनाथ से देहरादून तक का शेड्यूल लिखा था. उस पास पर उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश और देहरादून के एडीएम के हस्ताक्षर भी मौजूद थे.
इसके बाद अमनमणि त्रिपाठी 11 लोगों और तीन वाहनों के काफिले के साथ देहरादून से बद्रीनाथ और केदारनाथ की तरफ निकल गए. अमनमणि को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि आगे जाकर एक परेशानी उनका इंतजार कर रही है. जैसे ही विधायक तीन गाड़ियों के साथ चमोली पहुंचे, वहां उन्हें रोक दिया गया. वहां रोके जाने से अमनमणि का पारा चढ़ गया और वहां उन्होंने कर्णप्रयाग के एसडीएम के साथ बदसलूकी कर दी और ये मामला मीडिया में आ गया.
आरोप है कि अमनमणि त्रिपाठी ने गौचर में डॉक्टर और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ बदसलूकी की और रौब दिखाते रहे. घटना के संबंध में कर्णप्रयाग के एसडीएम का कहना है कि अमनमणि त्रिपाठी अन्य लोगों के साथ यूपी से आए थे. उनके पास 3 वाहन थे. उन्हें गौचर बैरियर पर रोक दिया गया. उन्होंने बैरियर पर रोकने के बावजूद उसे पार किया और कर्णप्रयाग पहुंच गए. उन्होंने डॉक्टरों से बहस की और स्क्रीनिंग में सहयोग नहीं किया. वे बहुत समझाने के बाद लौट गए.
इस घटना के बाद निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ उत्तराखंड के टिहरी जिले में मुकदमा दर्ज किया गया. उन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का आरोप है. खास बात है कि नियमों की अनदेखी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट के पितृ कार्य के नाम पर की गई है.
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र ने किसी भी तरह के पितृ कार्य से इनकार किया है. उनका कहना है कि पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट की अस्थियों को प्रवाहित किया जा चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी इजाजत किस आधार पर दी गई. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बावजूद अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड में प्रवेश कैसे करने दिया गया है.
कोरोना के चलते पूरे देश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत धार्मिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से आम जनता के लिए बंद हैं. बावजूद इसके अमनमणि त्रिपाठी को इजाजत क्यों दी गई? फिलहाल, अमनमणि के खिलाफ टिहरी के मुनी की रेती थाने में महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है