बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड में दोषी करार दिए गए 11 पुलिसकर्मियों को मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही सभी पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले में डिप्टी एसपी, एसएचओ, एसआई और 8 कॉन्स्टेबल को उम्रकैद की सजा हुई है.
इस मामले में 14 आरोपितों में से 11 को दोषी ठहराया गया था. तीन आरोपितों को बरी कर दिया गया. 35 साल पुराने इस मुकदमे की सुनवाई के लिए राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह और उनके पति विजय सिंह मथुरा कोर्ट गए थे.
बता दें कि 21 फरवरी, 1985 को राजा मानसिंह व दो अन्य की भरतपुर में हत्या हुई थी. दामाद विजय सिंह ने डीग (राजस्थान) थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी और अन्य को नामजद किया गया था. पुलिस ने मुठभेड़ की रिपोर्ट दर्ज की थी. साल 1990 से मथुरा कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही थी.
डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कॉन्स्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कॉन्स्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआइ रवि शेखर को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी करार दिया गया था.
क्या था विवाद?
डीग से राजा मानसिंह 7 बार निर्दलीय विधायक रहे थे. 20 फरवरी 1985 को सूबे के तत्कालीन सीएम मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर हेलिकॉप्टर से डीग में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में सभा को संबोधित करने आए थे तभी राजा मानसिंह अपनी जीप लेकर सभास्थल पर पहुंच गए और मंच तोड़ दिया. उसके बाद मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर को भी अपनी जीप से तोड़ दिया, जिसके बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया और पुलिस ने भी कर्फ्यू लगा दिया था.
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21 फरवरी 1985 को जब राजा मानसिंह अपने समर्थकों के साथ अपनी जीप में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने जा रहे थे तभी डीग कस्बे की अनाज मंडी में भारी पुलिस तैनात थी. वहां डीएसपी कान सिंह ने उनके समर्थकों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें राजा मान सिंह के साथ ठाकुर सुमेर सिंह और ठाकुर हरि सिंह की भी मौत हो गई थी.