उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 2013 में हुए दंगे के मामले में एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को बरी कर दिया है. सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 395 (डकैती) और 436 (आगजनी) के मामले दर्ज थे.
मुजफ्फरनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार तिवारी ने मंगलवार को दंगों के मामले की सुनवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 395 (डकैती) और 436 (आगजनी) के आरोपों से बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, एसआईटी ने इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.
मामले के लंबित रहने के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी. अदालत में सुनवाई के दौरान, शिकायतकर्ता मोहम्मद सुलेमान समेत तीन गवाह मुकर गए और उन्होंने अभियोजन पक्ष का साथ नहीं दिया.
इस मामले में राहत पाने वाले आरोपियों पर इल्जाम था कि 7 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर जिले के लिसाढ गांव में दंगों के दौरान भीड़ ने कई घरों में आग लगा दी थी और वहां लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया था.