उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में प्रधानी चुनाव निपट जाने के बावजूद एक गांव में पुलिस का खौफ अभी तक व्याप्त है. यहां गांव के लोग पिछले आठ दिनों से खेतों में खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं.
कोतवाल ने मानी रंजिश
शाहजहांपुर के महियावर गांव में एक दिसबंर को ग्राम प्रधानी चुनाव था. चुनाव के दूसरे चरण के दौरान गांव में रामचन्द्र यादव नाम के दरोगा ने एक युवक को जमकर पीट दिया. इसके बाद ग्रामीणों ने दरोगा के साथ हाथापाई कर दी. बस दरोगा के साथ हुए विवाद को पुलिस ने दुश्मनी मान लिया. इलाके के कोतवाल तो रंजिश पर उतर आए.
पुलिस ने किया तांडव
इस घटना के बाद एक दर्जन गाडियों में सवार होकर पुलिस वाले गांव में पहुंच गए. पुलिस फोर्स ने गांव में घर घर जाकर तोड़ फोड़ की. और गांव वालों के सामान को तहस नहस कर दिया. यहां तक पुलिस ने पूरे गांव में आतंक का नंगा नाच खेला.
6 गांव वाले गिरफ्तार
हालांकि चुनावी घटना के बाद पुलिस ने 6 गांव वालों को चुनाव में हिंसा करने, पुलिस के काम में दखल देने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन इसके बाद भी पुलिस का गुस्सा शांत नहीं हुआ. पुलिस ने गांव वालों को गांव छोड़ने का तुगलकी फरमान सुना दिया.
खेतों में ली पनाह
इसके बाद पुलिस ने गांव वालों को उनके घर से भगा दिया. डरे सहमे गांव वाले अपने परिवार के साथ खेतों में पनाह लिए हुए हैं. उनके साथ महिलाएं और बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल है. कड़ाके की ठंड के बावजूद ये लोग अपने खेतों में रात गुजार रहे हैं. ये पुलिस से इतने खौफजदा हैं कि यहां से बाहर जाने में भी डर रहे हैं. सर्दी के चलते कई बच्चे बीमार हो चुके हैं.
खामोश है पुलिस प्रशासन
इस घटना पर जिले पुलिस प्रशासनिक अधिकारी आंखे मूंदे हैं. आला अधिकारी भी गांव वालों की मदद नहीं कर रहे हैं. महिलाएं और बच्चे बीमार हो रहे हैं. लेकिन पुलिस के डर से वे इलाज और दवा भी नहीं ले पा रहे हैं. यहां तक कि उनके पास खाने का सामान भी नहीं है. वे सभी गन्ने खाकर अपना काम चला रहे हैं.
मदद का इंतजार
गांव वाले आला अधिकारियों और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आठ दिन बीत जाने के बावजूद उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया है. पुलिस की दहशत में जी रहे गांव वाले अपने घरों के होते हुए खेतों में रात बिताने को मजबूर हैं.