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संगठित अपराध के खिलाफ बेहद सख्त होगा यूपीकोका, जानिए प्रावधान और नियम

योगी सरकार ने संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिये यूपीकोकाजैसा सख़्त कानून लाने का फैसला किया है. नए कानून के तहत अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन मकान और जमीन पर कब्जा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी, तस्करी, जैसे अपराधों को शामिल किया जाएगा.

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संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिये योगी सरकार तैयार
संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिये योगी सरकार तैयार

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने संगठित अपराध पर नकेल कसने के लिये यूपीकोका (UPCOCA) जैसा सख़्त कानून लाने का फैसला किया है. नए कानून के तहत अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन मकान और जमीन पर कब्जा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी, तस्करी, जैसे अपराधों को शामिल किया जाएगा.

यूपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र में आज इस कानून को पेश किया जाएगा. महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा प्रदेश है, जो इतना सख़्त कानून लागू करने जा रहा है. नए यूपीकोका (UPCOCA) यानि उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट के तहत निम्नलिखित प्रावधान हैं-

- किसी भी तरह का संगठित अपराध करना वाला व्यक्ति इस कानून की जद में आएगा.

- इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी.

- इस कानून के तहत केस तभी दर्ज होगा, जब आरोपी कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो. उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई हो.

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- यूपीकोका में गिरफ्तार अपराधी के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल करने के लिये 180 दिन का समय मिलेगा. अभी तक के कानूनों में 60 से 90 दिन ही मिलते हैं.

- यूपीकोका के तहत पुलिस आरोपी की रिमांड 30 दिन के लिए ले सकती है, जबकि बाकी कानूनों में 15 दिन की रिमांड ही मिलती है.

- इस कानून के तहत कम से कम अपराधी को पांच साल की सजा मिल सकती है. अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान होगा.

इतने सख्त कानून का दुरुपयोग ना हो, ये तय करने के लिए यूपीकोका के मामलों में केस दर्ज करने और जांच करने के लिए भी अलग नियम बनाये गए हैं.

- राज्य स्तर पर ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग गृह सचिव करेंगे.

- मंडल के स्तर पर आईजी रैंक के अधिकारी की संस्तुति के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा.

- जिला स्तर पर यदि कोई संगठित अपराध करने वाला है, तो उसकी रिपोर्ट कमिश्नर, डीएम देंगे.

योगी सरकार की कवायद शुरू होते ही विपक्ष ने इसका विरोध भी करना शुरू कर दिया है. विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी का कहना है कि इस कानून का दुरूपयोग सरकार विरोधियों को दबाने के लिए कर सकती है. बहरहाल उत्तर प्रदेश विधान सभा के शीतकालीन सत्र के दौरान ही योगी सरकार इस नए कानून को हर हाल में लागू करना चाहती है.

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