दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जिसे कोर्ट ने कोर्ट ने पिछले पांच सालों से भगोड़ा घोषित कर रखा था. पुलिस को जांच पड़ताल में पता चला कि मंजीत सात साल तक पुलिस में नौकरी कर चुका है. उसके बाद उसने पुलिस की नौकरी छोड़कर कारोबार शुरू किया था.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने वॉन्टेड़ ठग मंजीत सहगल को आखिरकार गिरफ्तार कर ही लिया. पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि मंजीत 1965 जब पैदा हुआ था, उसी साल उसके पिता पाकिस्तान के साथ चल रहे युद्ध में शहीद हो गए थे. जिसके बाद उसने दसवीं तक पढ़ाई की और फिर 89 में पुलिस में भर्ती हो गया.
सात साल के बाद 1996 में उसने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया. और रेडिमेट गारमेंट का कारोबार शुरु कर दिया. बाद में मंजीत ने क्रिस्टन डिओर शॉपी के नाम से अपना ब्रैंड शुरु किया. और इसके आउटलेट कई शहरों में खोल दिए.
सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि साल 2010 में एक फ्रेंच कंपनी ने मंजीत पर दिल्ली के उत्तम नगर थाने में कॉपी राईट उल्लंघन और धोखाधड़ी का केस दर्ज करा दिया. कंपनी का कहना था कि मंजीत ने उसके नाम का इस्तेमाल किया है. इस मामले में पुलिस ने मंजीत को गिरफ्तार कर लिया.
जेल से बाहर आने के बाद मंजीत अपने गांव में सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत भी गया. लेकिन मंजीत ने अपने केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट जाना बंद कर दिया. कोर्ट ने समन भेजे लेकिन वो कोर्ट नहीं गया. इसके बाद कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया.
इसी दौरान मंजीत ने अपने दोस्त विरेंद्र सुयाल के साथ मिल कर अपने रेडिमेड गारमेंट ब्रांड के नाम पर कई लोगों से करोडो़ं रुपये ठग लिए. जब लोगों को इस बात का पता चला कि ये ब्रांड मंजीत का नहीं है, तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी और ठगी के कई मामले दर्ज हो गए. पुलिस उसे तलाश करने लगी और आखिरकार शनिवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया.