उज्जैन के महाकाल मंदिर से कानपुर कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया है. उज्जैन पुलिस को शक है कि विकास दुबे एक गाड़ी के जरिए उज्जैन पहुंचा था. पुलिस ने गाड़ी को बरामद कर लिया है. गाड़ी लखनऊ के इंदिरा नगर में रहने वाले मनोज यादव के नाम से दर्ज है. विकास दुबे और गाड़ी का कनेक्शन पुलिस खंगाल रही है.
जब विकास दुबे पकड़ा गया तो उसके पास एक बैग था. सूत्रों के मुताबिक बैग में कुछ कपड़े, एक मोबाइल, उसका चार्जर और कुछ कागजात है. ये मोबाइल विकास का ही था. इसी मोबाइल से विकास दुबे ने कई लोगों से संपर्क किया था. सम्पर्क करने के बाद विकास फोन ऑफ कर लेता था और फिर फौरन अपनी जगह बदल लेता था.
लावारिस हालत में मिली गाड़ी
विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद पूरे उज्जैन में तलाशी अभियान चलाया गया था. इस दौरान एक गाड़ी मिली, जिस पर लखनऊ का नंबर और हाई कोर्ट लिखा था. पुलिस गाड़ी को थाने ले आई. इसके बाद गाड़ी को ढूंढते हुए दो लोग थाने पहुंचे और उन्होंने बताया कि यह मेरी गाड़ी है.
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उज्जैन के थाने में पहुंचे दोनों लोगों ने अपने आपको वकील बताया और कहा कि वो उज्जैन घूमने आए थे. इसके बाद दोनों वकीलों को पुलिस ने थाने में बैठा लिया है और पूछताछ की जा रही है. पुलिस को शक है कि विकास दुबे इसी कार से उज्जैन आया है. फिलहाल दोनों वकीलों से पूछताछ की जा रही है.
कार मालिक के परिवार ने किया आरोप से इनकार
इस बीच आजतक की टीम लखनऊ में मनोज यादव के घर पहुंची. मनोज यादव भी वकील हैं. उनकी पत्नी ने विकास दुबे के संपर्क में होने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है. इसके साथ ही मनोज यादव ने भी अपनी पत्नी से फोन पर बात की और सभी आरोपों को खारिज किया है.
मनोज यादव के लखनऊ घर पर पुलिस की टीम भी पहुंच गई है. मनोज यादव की पत्नी से पूछताछ की जा रही है. पत्नी से पूछा जा रहा है कि किन हालात में मनोज यादव उज्जैन गए हैं. इस बीच खबर है कि विकास दुबे ने जिस बिट्टू का नाम लिया था, उसकी उज्जैन पुलिस तलाश कर रही है.
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हिरासत में लिए गए तीन लोग
इन दोनों वकीलों के अलावा एक स्थानीय नागरिक को पुलिस ने हिरासत में लिया है. सूत्रों ने बताया कि विकास दुबे ने दो वकीलों से मुलाकात की थी और इन्हीं ने विकास दुबे को उज्जैन पहुंचाने में मदद की थी. इन्हीं दोनों वकीलों और एक स्थानीय नागरिक को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
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फिल्मी अंदाज में हुई गिरफ्तारी
2 जुलाई की रात को कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के 6 दिन बाद विकास दुबे की जिस तरह से गिरफ्तारी हुई है वो कम फिल्मी नहीं है. इस गिरफ्तारी से कई सवाल भी उठे हैं. ऐसा लग रहा है कि ये गिरफ्तारी महज इत्तेफाक नहीं है, बल्कि इसके पीछे विकास दुबे और उसके आकाओं की सोची-समझी चाल है.
मिली जानकारी के मुताबिक, विकास दुबे आज सुबह ही महाकाल मंदिर पहुंचा. उसने दर्शन किया, फिर गार्ड को बताया कि मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. फिर विकास दुबे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान वह चिल्लाता रहा कि मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला.