नोटबंदी की वजह से एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. मेरठ के एक अस्पताल में एक मरीज की उपचार के दौरान अस्पताल में मौत हो गई. अस्पताल ने हजारों का बिल परिवार को पकड़ा दिया. जिसका भुगतान किए बिना परिवार को मरीज की लाश नहीं मिली. मृतक की पत्नी ने पति की लाश हासिल करने के लिए अपनी बेटी के गहने बेच डाले.
दिल दहला देने वाला यह मामला मेरठ के एक निजी अस्पताल का है. जहां हरिद्वार (उत्तराखंड) निवासी मनीराम का इलाज चल रहा था. इसी बीच उसकी मौत हो गई. अस्पताल के स्टॉफ ने मृतक के परिजनों को 40 हजार रूपये का बिल थमा दिया. जिसे परिवार चुकाने की स्थिति में नहीं था.
यह बात जानकर अस्पताल प्रबंधन ने मृतक की लाश परिजनों को देने से इनकार कर दिया. परिवार की परेशानी इस बात से दुगनी हो गई. निराश होकर मृतक की पत्नी ने अपनी बेटी का मंगलसूत्र और उसके कुंडल बेच दिए. और कहीं से पैसों का इतंजाम किया. हालांकि मनीराम को अस्पताल में भर्ती करते वक्त ही परिवार ने एक लाख रुपये का अग्रिम भुगतान भी किया था.
मगर इसके बावजूद अस्पताल के स्टॉफ ने बड़े नोट लेने से इनकार कर दिया. बाद में जैसे-तैसे लोगों की मध्यस्थता से मामला सुलझ पाया. अस्पताल ने मृतक की लाश उसके घरवालों को सौंप दी. मनीराम नगर पालिका के रिटायर कर्मचारी थे. वह हरिद्वार जिले में ज्वालापुर नगर में मोहल्ला कड़च्छ में रहते थे.
दरअसल, दिवाली से एक दिन पहले मनीराम को ब्रेन हेमरेज हुआ था. उन्हें इलाज के लिए मेरठ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मगर शुक्रवार की देर रात उनकी मौत हो गई थी. पहले ही अस्पताल को बड़ी रकम चुकाने वाले परिजनों के पास भुगतान करने के लिए रकम नहीं थी.