दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसी महिला गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो घरेलू काम करते-करते कैश और ज्वैलरी साफ कर देती थीं. इस गिरोह की महिलाएं पॉश इलाकों में जाकर नौकरी मांगती. जहां काम मिल जाता, वहां जमकर काम करके भरोसा कायम करती, फिर हाथ साफ कर फरार हो जाती थीं. इनके पास से 1 करोड़ की ज्वैलरी मिली है.
यदि आप अपने घर का काम करने के लिए नौकरानी रखते हैं, तो जरा सावधान हो जाइए. कहीं आपकी नौकरानी आपका भरोसा कायम करके आपके घरों से कीमती सामान गायब न कर दे. जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे ही गिरोह की 7 महिलाओ को गिरफ्तार किया है, जो घरों से माल साफ कर देती थीं.
दिल्ली के जीके, हौज खास, सरिता विहार, मयूर विहार जैसे पॉश इलाको इलाके इनके टारगेट पर रहते थे. इस गिरोह की महिलाएं घरों में काम करने के बहाने दाखिल हो जाती. घरवालों पर भरोसा कायम करने के लिए 25 से 30 दिनों तक ईमानदारी से काम करती. फिर मौका देखते ही इस गिरोह की महिलाएं एक दूसरी महिला को घर मे दाखिल कर लेती.
डीसीपी क्राइम ब्रांच राम नाइक ने बताया कि इस गिरोह के शिकार हुए करीब 5 लोगों की लिखित शिकायत मिली थी. इस पर कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच ने सात महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया. इन महिलाओं के पास से करीब एक करोड़ की ज्वैलरी बरामद की गई है, जो अलग-अलग घरों से चुराई गई है. पुलिस ने 9 मामलों को सुलझाया है.
बताते चलें कि महिलाओं का इस्तेमाल करके सनसनीखेज वारदातों का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. चोरी तो आम बात है. दिल्ली मेट्रो में हर रोज चोरी और पॉकेटमारी की घटनाएं को अंजाम देने वाले गैंग में 90 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. इसके पीछे एक पूरा गैंग काम करता है. महिलाएं ट्रेन में चढ़ते-उतरते या एस्केलेटर पर हाथ साफ कर देता है.
दिल्ली पुलिस ने 15 मई 2017 तक मेट्रो में चोरी के 6384 और जेब कटने के 679 मामले दर्ज किए हैं. साल 2016 में चोरी के 9705, जेब कटने के 510 मामले दर्ज हुए थे. वहीं साल 2015 में चोरी के 3104 और जेब कटने के 1728 मामले दर्ज किए गए. सीआईएसएफ इन बढ़ती वारदातों को रोकने के लिए ठोस कदम उठा रही है.