दिल्ली में 16 दिसंबर को चलती बस में हुए गैंगरेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है लेकिन भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाली महिला से पूछें तो वो यही बताएगी यौन हमले का डर लगातार उनके साथ चलता है.
सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों की आंच से माहौल गर्म है. विरोध के लिए सड़कों पर उतर रही ज्यादातर महिलाएं इस डर को अपनी जिंदगी में शामिल पाती हैं. महिला अधिकारों की बात करने वाले आरोप लगाते हैं कि भारत में इस तरह की हरकतों को अंजाम देने वाले लोगों को रोकने के लिए जरूरी तंत्र है ही नहीं.
करीब सवा अरब की आबादी वाले देश में आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक हर 20 मिनट में किसी न किसी महिला से बलात्कार होता है.
महिला अधिकारों की बात करने वाले कहते हैं कि देश में कानून का पालन और अभियोजन के तरीके बेहद खराब हैं.
दिसंबर में जारी सर्वे के नतीजे बताते हैं कि देश के सभी प्रमुख आर्थिक गतिविधियों वाले इलाके में 92 फीसदी कामकाजी महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती है खास तौर से रात में. बड़े शहरों में असुरक्षा के मामले में दिल्ली सबसे ऊपर है जहां 92 फीसदी महिलाओं के मन में डर पल रहा है, इसके बाद बैंगलोर 85 फीसदी महिलाओं के साथ दूसरे नंबर पर है और कोलकाता तीसरे नंबर पर है जहां की 82 फीसदी महिलाओं को डर लगता है.
सूचना तकनीक, होटल, नागरिक विमानन, स्वास्थ्य सेवा और कपड़ा उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाएं भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. एसोचैम की रिपोर्ट कामकाजी और घरेलू दोनों प्रकार की महिलाओं से बातचीत पर आधारित है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे और देहरादून की महिलाओं से सर्वे के दौरान हुई बातचीत में पता चला कि यह सबका मानना है कि महिला सुरक्षा देश की चुनौतियों में सबसे बड़ी है. एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि महिला कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर अस्पताल जैसी जगहों पर भी बेहद चिंतित रहती हैं.