मोसाद का मतलब मौत. एक बार जो मोसाद की निगाह में चढ़ गया, उसका बचना मुश्किल ही नामुमकिन है. मोसाद के खूंखार एजेंट उसे दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ निकालने का दमख़म रखते हैं. यही वजह है कि इजराइल की इस खुफिया एजेंसी को दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसी कहा जाता है. मोसाद की पहुंच हर उस जगह तक है जहां इजराइल या उसके नागरिकों के खिलाफ कोई भी साजिश रची जा रही हो. मोसाद का इतिहास 63 साल पुराना है. इसका मुख्यालय इजराइल के तेल अवीब शहर में है.
मोसाद यानी इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन इजरायल की नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी. इसका गठन 13 दिसंबर 1949 को 'सेंट्रल इंस्टीट्यूशन फॉर को-ऑर्डिनेशन' के बतौर हुआ. इस एजेंसी को बनाने का प्रस्ताव रियुवैन शिलोह द्वारा प्रधानमंत्री डेविड बैन गुरैना के कार्यकाल में दिया गया था. उन्हें ही मोसाद का डायरेक्टर बनाया गया. इसका मुख्य उद्येश्य आतंकवाद के खिलाफ लड़ना, खुफिया जानकारी एकत्रित करना और राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देना है. यह इंटेलीजेंस कम्यूनिटी में प्रमुख वर्चस्व रखती है.
खूंखार तेवर और जासूसी दिमाग की मल्लिका
मोसाद की कातिल हसीनाएं अपने खूंखार तेवरों और जासूसी दिमाग के लिए दुनिया भर में जानी जाती हैं. मोसाद में करीब 40 फीसदी महिला जासूस हैं. इनमें करीब 24 फीसदी महिला जासूस वरिष्ठ पदों पर काम करती हैं. मोसाद ने महिला जासूस की सबसे महत्वपूर्ण तैनाती 1986 में की थी. इसकी शुरुआत एक पूर्व परमाणु वैज्ञानिक को इजरायल वापस लाने के लिए महिला एजेंट ने उसे अपने हुस्न के जाल में फंसाया था. मोसाद के प्रमुख तामिर पार्डो ने पत्रिका को बताया कि उनकी आधी जासूस महिलाएं हैं.
दुश्मनों से प्यार का नाटक करती हैं जासूस
एक महिला जासूस के मुताबिक, 'हम अपने स्त्री होने का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि कोई भी तरीका वैध होता है. लेकिन महिला एजेंटों का इस्तेमाल यौन उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाता है. हम दुश्मनों से प्यार का नाटक करते हैं. लेकिन उनके साथ कोई फिजीकल रिलेशन नहीं बनाते हैं. यदि कोई मर्द किसी वर्जित क्षेत्र में घुसना चाहता है, तो उसे अनुमति मिलने की संभावना बहुत कम होती है. लेकिन यदि कोई खूबसूरत महिला वहां जाना चाहती है, तो उसको अनुमति मिलने की संभावना बढ़ जाती है.'
महमूद अल मबूह की हत्या के पीछे मोसाद
बताते चलें कि फिलिस्तीनी ग्रुप हमास के मिलिट्री विंग के फाउंडर महमूद अल मबूह की हत्या ने काफी चर्चा में रही थी. इसके पीछे मोसाद का ही हाथ था. साल 2013 में महमूद अल मबूह की हत्या पर किंडोन फिल्म बनी थी. इसमें इजराइल की मशहूर मॉडल बार रफेली ने मोसाद एजेंट का रोल निभाया था. 19 जनवरी 2010 को दुबई के होटल अल बुस्तान रोताना में अल मबूह का मर्डर कर दिया गया था. इस काम में मोसाद के 33 एजेंट लगे थे. अल मबूह के पैर में सक्सिनीकोलीन का इंजेक्शन दिया गया था.