योगी आदित्यनाथ के एनकाउंटर राज पर आजतक/इंडिया टुडे की 4 अप्रैल को इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए कुछ कथित अपराधियों के घरवालों ने अपने साथ ज्यादती बरते जाने के आरोप लगाए हैं. इन घरवालों के मुताबिक जब फर्जी मुठभेड़ की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) से की गई तो घर के पुरुष सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने गैंगरेप के केस दर्ज करा दिए.
इस स्टोरी के एक दिन बाद यूपी पुलिस की ओर से दावा किया गया कि जो भी केस दर्ज किए गए हैं उनके पीछे ठोस आधार है. मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने वादा किया है कि अगर स्थानीय पुलिस की ओर से कहीं ज्यादती की शिकायत है तो संबंधित परिवार इसके निवारण के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.
4 अप्रैल को इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया था कि मुठभेड़ में मरे कथित अपराधियों के परिवार वालों पर पुलिस की ओर से किस तरह NHRC से शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है. इस रिपोर्ट में ऐसे कम से कम तीन मामलों को सामने लाया गया था.
गुरुवार को आजतक/इंडिया टुडे कैराना के भूरा गांव में उस ‘रेप पीड़ित’ के घर पहुंचा जिसने नौशाद और सरवर नाम के दो अपराधियों के परिवार वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. नौशाद और सरवर बीते साल 29 जुलाई को पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे.
30 के आसपास उम्र वाली इस महिला ने खुद को श्रमिक बताया लेकिन उसने महंगी घड़ी और रेशमी कशीदाकारी वाली सलवार कमीज पहन रखी थी. ये महिला उस घर से कुछ दूरी पर ही रहती है जहां नौशाद अपनी मां और भाई के साथ रहता था. इस महिला का आरोप था कि नौशाद और सरवर के परिवार के सदस्यों ने उसके साथ कई बार रेप किया लेकिन उसने डर के मारे पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी.
महिला ने आजतक/इंडिया टुडे से कहा, ‘मैं पुलिस में जाकर शिकायत करने को लेकर बहुत डरी हुई थी. मैंने तभी शिकायत दर्ज कराई जब वो दोनों (नौशाद और सरवर) मारे गए. नौशाद की गिरफ्तारी की वजह बताया जाने वाला आरोप झूठा है, क्योंकि उसका परिवार मुझे फंसाना चाहता था.’
वहीं नौशाद के परिवार का कहना है कि ये गांव की वही महिला है जिसने 28 जुलाई की आधी रात को नौशाद और सरवर को झांसा देकर उनके घरों से निकाला और दोनों पुलिस के बिछाए जाल में फंस गए. नौशाद के घरवालों का आरोप है कि ये महिला स्थानीय पुलिस के कहने पर ही चल रही थी क्योंकि वो पुलिस मुखबिर है.
नौशाद के भाई इमाम का कहना है- ‘पुलिस ने मेरे खिलाफ, मेरे चाचा के खिलाफ रेप के केस दर्ज कराए. ये हमारी ओर से एनकाउंटर की शिकायत दर्ज कराए जाने के ठीक एक दिन बाद हुआ. हमारे पर दबाव है कि हम शिकायत वापस ले कर समझौता कर लें. हम चाहते हैं कि ये सब जल्दी ख़त्म हो.’
इस बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुठभेड़ों में मारे गए कथित अपराधियों के घरवालों के खिलाफ रेप चार्ज वाली एफआईआर का सही कदम बताते हुए बचाव किया है. मेरठ जोन के एडीजीपी प्रशांत कुमार ने इंडिया टुडे से कहा, ‘मैं आरोपों से सहमत नहीं हूं. अगर कहीं पुलिस ने ज्यादती की है तो वो विभिन्न फोरमों से संपर्क कर सकते हैं, मजिस्ट्रेट के सामने गवाही दे सकते हैं. अगर उनके परिवार के सदस्यों ने अपराध किया है तो ये हमारी ड्यूटी है कि समुचित जांच के बाद केस दर्ज कराएं.’
एडीजीपी ने एनकाउंटर्स को भी सही करार दिया. एडीजीपी ने कहा कि सिर्फ उन्हीं मामलों में जहां अपराधियों ने गोली चलाई, वहीं जवाबी कार्रवाई की गई. सरकार की प्राथमिकता अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण पाना है. इनसे निपटने के लिए हमें आजादी दी गई है.’
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि एनकाउंटर सरकार की नीति नहीं है. पुलिस अपराधियों के गोली चलाने पर ही कार्रवाई करती है. उन्होंने फर्जी मुठभेड़ों के दावों को भी गलत बताया. एडीजीपी ने कहा, हमारी रेंज में 150 पुलिसकर्मी घायल हुए और एक कांस्टेबल की मौत हुई. मैं फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों से सहमत नहीं हूं, हां हम अपराधियों से प्रो-एक्टिव तरीके से निपट रहे हैं.
एडीजीपी प्रशांत कुमार ने दावा किया कि सख्ती बरते जाने का सकारात्मक असर हुआ है. ऐसे क्षेत्र हैं जहां से लोग पलायन कर गए थे, वहां अब वो वापस लौटने लगे हैं.
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं. मुठभेड़ों में जो 42 अपराधी मारे गए हैं उनमें से 30 अकेले मेरठ जोन के 9 जिलों से जुड़े थे.