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योगीराज में एनकाउंटर में मारे गए लोगों के परिजनों पर रेप के केस!

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीते एक साल में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 1,200 से ज्यादा एनकाउंटर्स में 40 कथित अपराधियों को मार गिराया. इसी दौरान 247 कथित अपराधी घायल हुए.

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यूपी पुलिस के ताबड़तोड़ एनकाउंटर विवादों में भी घिरते जा रहे हैं
यूपी पुलिस के ताबड़तोड़ एनकाउंटर विवादों में भी घिरते जा रहे हैं

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योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीते एक साल में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 1,200 से ज्यादा एनकाउंटर्स में 40 कथित अपराधियों को मार गिराया. इसी दौरान 247 कथित अपराधी घायल हुए.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश ऐसा क्षेत्र है, जहां के शहर कुख्यात गैंगस्टर्स की वजह से जाने जाते रहे हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से हुई मुठभेड़ों की हकीकत जानने के लिए इंडिया टुडे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई शहरों में पहुंचा. बता दें कि यहां हुई सभी मुठभेड़ों के बारे में सरकारी पक्ष की ओर से यही कहा गया कि ये वांछित संदिग्धों की ओर से पुलिस पर फायरिंग किए जाने के बाद जवाबी कार्रवाइयां थीं.

सबसे पहले इंडिया टुडे ने ऐतिहासिक शहर कैराना का रुख किया. किसी वक्त कैराना की देश-विदेश में पहचान संगीत के लिए प्रख्यात कैराना घराने की वजह से थी. अब ये शहर कुख्यात गैंगस्टर्स और उनकी यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ों की वजह से जाना जाता है.

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पूरे परिवार पर गैंगरेप का मुकदमा

कैराना के ही भूरा गांव में नौशाद को गैंगस्टर्स एक्ट के तहत 2012 में आरोपी बनाया गया था. बीते साल 29 जुलाई को हुए कथित एनकाउंटर में नौशाद की मौत हो गई. नौशाद का परिवार अब डर के साए में जी रहा है. नौशाद के घरवालों के मुताबिक जब मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए उन्होंने चुनौती दी तो घर के सभी पुरुष सदस्यों पर गैंगरेप का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कर दिया गया.

इंडिया टुडे के पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक नौशाद के घरवालों ने 3 अगस्त 2017 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मुठभेड़ को लेकर शिकायत दर्ज कराई और उससे अगले दिन ही यूपी पुलिस ने उनके घर का दरवाजा खटखटाया. नौशाद के भाई और चाचा समेत घर के सभी पुरुष सदस्यों के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कर दिया गया.

नौशाद के भाई इनाम का कहना है, ‘हमारी गलती इतनी है कि हम गरीब हैं. हमारे घर को देखिए. क्या ये किसी बड़े अपराधी का घर लगता है. हमने शिकायत दर्ज कराई, इसी वजह से पुलिस हमें परेशान कर रही है.’

इनाम ने कहा, ‘हम पर गैंग रेप का आरोप लगाया गया है. पुलिस पूरे परिवार को ही अपराधियों के तौर पर पेश कर रही है. वो शिकायत वापस लेने के लिए अधिकारियों को हमारे घर भेजते रहते हैं. अगर कोई मदद नहीं मिली तो हमें हर उस दस्तावेज पर अंगूठा लगाने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा, जिसके लिए वो हमें कहेंगे.’

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सरेंडर से पहले एनकाउंटर?

नौशाद और उसके दोस्त सरवर को ये पूर्वाभास था कि उन्हें मार दिया जाएगा. कथित एनकाउंटर से कुछ दिन ही पहले के एक ऑडियो क्लिप में नौशाद और सरवर को आपस में तकरार करते सुना जा सकता है. ये ऑडियो क्लिप एनकाउंटर के बाद कैराना में वायरल हो गया था. ऑडियो में सरवर को नौशाद से सरेंडर करने के लिए कहते सुना जा सकता है. वो ये भी कह रहा है कि अगर सरेंडर नहीं किया तो दोनों मारे जाएंगे. सरवर ऑडियो में ये भी कह रहा है कि नौशाद ईद के बाद पुलिस के सामने सरेंडर करने के लिए तैयार हो गया है.

सरवर का परिवार सामने नहीं आ रहा है. नौशाद के परिवार की तरह ही सरवर के परिवार के पुरुष सदस्यों को गैंग रेप का आरोपी बनाया गया है. ये सब परिवार वालों की ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में फर्जी एनकाउंटर की शिकायत दर्ज होने के बाद ही हुआ.

नौशाद के पिता जमील और सरवर के रिश्तेदार वसील की ओर से हलफनामे दाखिल किए गए हैं. इन हलफनामों में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की एक महिला मुखबिर 28 जुलाई को नौशाद और सरवर को झांसा देकर अपने घर ले गई थी. जब वो घर नहीं लौटे तो परिवार वालों ने 28 जुलाई की रात को ही पुलिस से संपर्क किया. अगली सुबह स्थानीय लोगों ने बताया कि दोनों को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया है और उनकी लाशों को पुलिस अपने साथ ले गई.

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नौशाद और सरवर के परिवारों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को ये भी बताया कि उन्होंने कथित मुखबिर के घर के बाहर बहुत सारा खून बिखरा भी देखा था.

ड्राइविंग नहीं आती, कार चेज में एनकाउंटर का दावा

एनकाउंटर्स का सच जानने की मुहिम के तहत ही इंडिया टुडे बागपत पहुंचा. यहां चिरचिता गांव में सुमित नाम का एक किसान मुठभेड़ में मारा गया था. पुलिस के मुताबिक सुमित नोएडा में कार चेज के दौरान हुई मुठभेड़ में मारा गया. लेकिन सुमित के परिवार वाले पुलिस के बयान को मजबूती से खारिज करते हैं.

सुमित के पिता करम सिंह के मुताबिक सुमित को उसी के नाम वाले किसी और शख्स के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर फ्रेम किया गया. सुमित के पिता का कहना है कि सुमित तो कार चलाना तक नहीं जानता था. करम सिंह का आरोप है कि उनके बेटे को लोकल मार्केट से पुलिस ने उठाया था. जब परिवार वालों ने विरोध किया तो सुमित के भाई और दो चचेरे भाइयों के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कर दिया गया.

'गलत आदमी को उठाया, फिर मांगी फिरौती'

सुमित के पिता करम सिंह ने इंडिया टुडे से कहा, ‘उन्होंने मेरे बेटे की हत्या करने से पहले उसे बुरी तरह यातना दी. जब उन्हें ये समझ आया कि वो किसी दूसरे सुमित को उठा लाए हैं, तो उन्होंने हमें एक मुखबिर के जरिए संदेश भेजकर साढ़े तीन लाख रुपए भेजने की मांग की. अगले दिन हम रकम लेकर नोएडा पुलिस स्टेशन पहुंचे तो हमसे कहा गया कि केस बहुत आगे पहुंच गया है. उसी शाम को हमें बताया गया कि सुमित मुठभेड़ में मारा गया है. उन्होंने फिर एक कहानी गढ़ी. यहां तक कि स्थानीय बीजेपी नेता भी हमें मदद की पेशकश के लिए आए लेकिन वो भी ज्यादा कुछ नहीं कर सके. हमें इंसाफ चाहिए. इस हत्या के लिए जो भी दोषी हैं, उन्हें दंडित कराने के लिए मैं किसी भी हद तक जाऊंगा. वो चाहते हैं कि हम शिकायत वापस ले लें, इसीलिए उन्होंने हमारे लड़कों पर झूठे केस दर्ज किए है.’

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एक बेटा मरा, बाकी तीनों के लिए डर

शामली जिले के तितरवाडा गांव के मीर हसन की भी कुछ ऐसी ही कहानी है. वो अपने बेटे फुरकान के बारे में बताते हुए बिलखने लगते हैं. फुरकान बीते साल 23 अक्टूबर को मुठभेड़ में मारा गया था. उसके सिर पर 50 हजार रुपए का इनाम था. फुरकान जेल में 7 सात साल की सजा काटने के बाद छूटा था. रिहाई के कुछ दिन बाद ही वो मुठभेड़ में मारा गया. फुरकान के घरवालों को शक है कि पुलिस ने उसे फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया.

फुरकान के पिता मीर हसन को अब अपने तीन और लड़कों की जान को खतरे का डर सता रहा है. मीर हसन ने इंडिया टुडे से कहा, ‘देखिए पुलिस ने हमारे साथ क्या किया. मेरा परिवार तबाह हो गया. उन्होंने मेरे बेटे की हत्या कर दी, अब वो मेरे बाकी बेटों के पीछे हैं. उनमें से तीन पर झूठे केस किए गए हैं. अब उन्हें भी अपराधियों के तौर पर पेश किया जा रहा है. लेकिन मैं कभी पुलिस के साथ समझौता नहीं करूंगा और ना ही कभी अपनी शिकायत वापस लूंगा.’

'बाइक चोरी को बनाया डकैती का केस'

मुजफ्फरनगर जिले के सिसौना गांव में शमीम का परिवार भी डर के साये में जी रहा है. शमीम को बीते साल 29 दिसंबर को मुठभेड़ में मार गिराया गया था. शमीम के सिर पर एक लाख रुपये का इनाम था. उस पर दिल्ली में डकैती डालने के आरोप भी थे. पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक शमीम दीवाली के बाद से ही फरार था लेकिन उसका परिवार पुलिस के इस बयान को जोर देकर खारिज करता है. उनका कहना है कि शमीम के खिलाफ बाइक चोरी का एक केस दर्ज था. पुलिस जब उसे उठा कर ले गई तब वो राजमिस्त्री के तौर पर गुजारा चला रहा था.

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शमीम के पिता फखरूद्दीन ने इंडिया टुडे से कहा, ‘उसे अगवा करने के बाद मार डाला गया. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अगर वो अपराधी था तो उसे जेल भेजा जाना चाहिए था. उन्हें किसी के बच्चे को इस तरह मारने का अधिकार किसने दिया? उसके मारे जाने से एक हफ्ता पहले पुलिस उसे ढूंढते हुए आई थी. वो कहां आता जाता था, लगातार ट्रैक किया जा रहा था. डर के मारे मेरे बेटे ने घर आना ही छोड़ दिया था कि कहीं पुलिस हमें परेशान ना करे. वो अब भी हमारे घर आते हैं और एक दस्तावेज पर दस्तखत कराना चाहते हैं कि मेरा बेटा अपराधी था. मैं इस पर कभी दस्तखत नहीं करूंगा.’

स्वागत भी हो रहा एनकाउंटर्स का

स्टोरी का एक दूसरा पहलू भी है. ऐसा नहीं कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस की ओर से ताबड़तोड़ मुठभेड़ें किए जाने से हर कोई नाखुश है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश बीजेपी का अब मजबूत गढ़ माना जाता है. इस क्षेत्र से 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को अपार जनसमर्थन मिला था. तीन साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री की लोकप्रियता की वजह से बीजेपी को भारी लाभ हुआ था. गन्ना बेल्ट के तौर पर जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराधियों का भी काफी खौफ रह चुका है. इस क्षेत्र के अधिकतर नागरिक मानते हैं कि योगी प्रशासन का अपराधियों को लेकर सख्त रवैया स्वागत योग्य है.

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बागपत जिले के बड़ौत कस्बे में अग्रवाल परिवार का टैंट हाउस का कारोबार है. इस परिवार के मुताबिक पिछली सरकार के दौरान वो गिरोहों के हमले और आए दिन वसूली की मांगों से परेशान रहता था. यहां तक कि पुलिस पर भरोसा कम होने की वजह से इस परिवार ने खुद के स्तर से ही सुरक्षा के इंतजाम कर रखे थे. इसी परिवार के दीपक अग्रवाल के मुताबिक डेढ़ साल पहले उनके दो रिश्तेदारों को गोली मार दी गई थी. दीपक अग्रवाल का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद हालात तेजी से बदले हैं.

दीपक अग्रवाल ने इंडिया टुडे से कहा, ‘योगी सरकार आने के बाद हम अब कहीं भी आ जा सकते हैं और बेखौफ अपना रोज का कारोबार चला सकते हैं. पहले वसूली की मांगें आम बात थी. अपराधी हमें बहुत परेशान करते थे. लेकिन अब उनमें से ज्यादातर या तो भाग चुके हैं या पुलिस की ओर से उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है.’

कारोबारी हैं खुश

अगस्त 2014 में कैराना का नाम दो स्टील कारोबारियों की उन्हीं के स्टोर पर गोली मार कर की गई हत्याओं को लेकर सुर्खियों में आया था. मेरठ-पानीपत हाईवे पर स्टोर चलाने वाले इन कारोबारियों ने अपराधियों को वसूली देने से इनकार कर दिया था. कारोबारियों की हत्या के बाद उनके परिवारों ने संपत्ति बेच कर यहां से पलायन करना ही बेहतर समझा. इसी के बाद मुस्लिम बहुल कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन के मुद्दे को लेकर बहस भी छिड़ी थी.

कैराना में दो स्टील कारोबारियों की हत्या की घटना के तीन साल बाद अप्रैल 2017 पर आए. इन हत्याओं के संदिग्ध मुकीम काला और उसका शूटर साथी मोहम्मद फुरकान को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया. ये योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही हो गया.

मुकीम काला गैंग के गोलियों से किए हमले में वरुण सिंघल के बड़े भाई विनोद सिंघल की जान गई थी. वरुण सिंघल कहते हैं, ‘इस सरकार में अपराधियों को अपनी जान का डर है. वहीं समाजवादी पार्टी के राज में वो कुछ दिन जेल में बिताते थे और बाहर आने के बाद फिर अपराध करते थे. जब मेरे भाई की हत्या की गई तो समाजवादी पार्टी ही सत्ता में थी. तब अपराधी खुले घूमते थे. अब योगी सरकार है जिसमें अपराधियों को ठिकाने लगाया जा रहा है.’

इनाम और प्रमोशन के लालच में पुलिसवाले?

वाहवाही को एकतरफ रखा जाए तो यूपी में एनकाउंटर्स से कई गंभीर सवाल उठते हैं. आलोचकों का आरोप है कि इनाम और प्रमोशन के लालच में पुलिसवालों में भगोड़ों को मार गिराने के लिए होड़ लगी हुई है. इसे आलोचक ‘एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्स’ का नाम देते हैं.

कैराना से समाजवादी पार्टी के विधायक नाहिद हसन ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, वे छोटे-मोटे अपराधियों को मार रहे हैं. जो असल में अपराधी हैं उन्हें यहां-वहां ही गोली मार कर जेल भेज दिया जाता है. पुलिस इनाम और प्रमोशन के लिए ये कर रही है, अब वो परिवारों को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दे रहे हैं. हम सभी एनकाउंटर्स की सीबीआई से जांच की मांग करते हैं. ये जांच कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए.’

हालांकि यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी मजबूती से पुलिस कार्रवाई का बचाव कर रही है. स्थानीय कारोबारियों से मिल रहे समर्थन के बीच बीजेपी के सांसद-विधायक यूपी पुलिस की तारीफ करते नहीं थक रहे. मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान ने इंडिया टुडे से कहा, हम समाजवादी पार्टी के नेताओं का दर्द समझ सकते हैं. अगर वो इतने चिंतित हैं कि बड़े गैंगस्टर्स पकड़ से बाहर हैं तो वो हमें उनका पता बताए, हम उन्हें गिरफ्तार करेंगे. कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर ये सरकार पूरे अंक पाने की हकदार है.

कह चुके हैं योगी- एनकाउंटर असली

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में दावा किया था कि यूपी में उनके कार्यकाल के दौरान एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई. योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘एक भी फर्जी एनकाउंटर नहीं हुआ. जी हां, एक भी नहीं. मैं यूपी में हर किसी की सुरक्षा की गारंटी लेता हूं. अपराधियों, देश विरोधी और समाज विरोधी तत्वों को यूपी में कानून का डर होना चाहिए. हम नतीजे भी देख रहे हैं. मेरठ में दुर्दांत अपराधियों ने ठेलों पर सब्जी बेचना शुरू कर दिया.’

योगी आदित्यनाथ सरकार का जहां दावा है कि वो सख्ती बरतने की वजह से अपराध से निपटने में बेहद कामयाब रही है, वहीं साथ ही वो ‘एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्स’ के आरोपों को सिरे से खारिज करती है.

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