खराब रेडियो रिपेयर कर कुछ सौ रुपये महीना कमाने वाला कब जूते बेचने लगता है और फिर जूते बेचते-बेचते कब नेताओं के पांव की नाप लेकर अपने पांव हवाई जहाज़ में रख देता है पता ही नहीं चलता. फर्श से अर्श तक की ये दास्तान है गोपाल कांडा की. ऐसे किस्से कहानियों में ही सुनने को मिलते. देखें पीसीआर का ये एपिसोड.