उत्तर कोरिया ने सोमवार को ऐलान किया है कि उसने हाल ही सॉलिड-फ्यूल हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है. यह मिसाइल साउंड की स्पीड से पांच गुना ज्यादा स्पीड से टारगेट की तरफ बढ़ती है. यानी 6200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. वह भी कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए. (फोटोः AFP)
2021 में उत्तर कोरिया ने ग्लाइडर के आकार वाले वॉरहेड के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण करने का दावा किया था. 2022 में उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने कहा कि उन्होंने कोनिकल मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल (MaRV) का सफल परीक्षण किया, जो कि एक बैलिस्टिक मिसाइल पर तैनात था. (फोटोः रॉयटर्स)
MaRV क्षमता वाली हाइपरसोनिक मिसाइल की गति और उसे कहीं घुमाने की ताकत ही उसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है. रविवार यानी 14 जनवरी 2024 को किए गए हाइपरसोनिक मिसाइल के टेस्ट में मल्टी स्टेज, हाई-थ्रस्ट सॉलिड फ्यूल इंजन और इंटरमीडिएट रेंज की क्षमता की जांच की गई है. (फोटोः रॉयटर्स)
उत्तर कोरिया की नई मिसाइल में फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बम्बार्डमेंट सिस्टम (FOBS) लगाया गया है. जो धरती के वायुमंडल के ऊपर तक हमला कर सकती है. अगर अन्य देशों की बात करें तो China ने हाइपरसोनिक ग्लाइड के साथ एक रॉकेट का परीक्षण 2021 में किया था. इसने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाने के बाद टारगेट पर गिरा था. लेकिन करीब 4 किलोमीटर से टारगेट मिस कर गया था. (फोटोः एपी)
2021 में ही Russia ने जिरकॉन (Tsirkon/Zircon) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. राष्ट्रपित व्लादिमीर पुतिन ने इसे नए जेनरेशन का मिसाइल सिस्टम कहा था. रूस ने इन मिसाइलों को अपनी पनडुब्बियों और जंगी जहाजों में भी तैनात किया है. इसी साल अमेरिका ने भी एयर-ब्रीदिंग हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल टेस्ट किया था. (फोटोः रॉयटर्स)
जनवरी 2021 में वर्कर्स पार्टी मीटिंग में किम जोंग उन ने हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास पर पांच साल का प्लान बनाने को कहा था. उसने कहा कि मिलिट्री ताकत बढ़ाने के लिए सॉलिड फ्यूल ICBM और परमाणु पनडुब्बियां बनाई जाएं. जनवरी 2022 में दक्षिण कोरिया (South Korea) ने कहा कि उत्तर कोरिया के पास दूसरी हाइपरसोनिक मिसाइल भी है. (फोटोः गेटी)
दक्षिण कोरिया के मुताबिक नॉर्थ कोरिया के पास एक और हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी गति 12,348 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है. अब पूरी दुनिया को यह टेंशन है कि उत्तर कोरिया जैसे छोटे देश अगर इस तरह के हथियार बना लेंगे तो इससे रणनीतिक संतुलन बिगड़ेगा. (फोटोः गेटी)
कोरिया एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर चांग यंग कियुन ने कहा कि उत्तर कोरिया हाइपरसोनिक मिसाइल इसलिए बना रहा है ताकि वह इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल को विकसित कर सके. वह सॉलिड फ्यूल की जांच भी कर रहा है. इससे उत्तर कोरिया अमेरिका में कहीं भी हमला कर सकता है. गुआम में लगे अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम इसे ट्रैक भी नहीं कर पाएंगे. न रोक पाएंगे. (फोटोः रॉयटर्स)