scorecardresearch
 
Advertisement
डिफेंस न्यूज

Satan-2 ICBM: रूस की सबसे ताकतवर परमाणु मिसाइल का परीक्षण फेल, लॉन्च पैड तबाह

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 1/8

21 सितंबर 2024 को रूस ने अरखानजेस्क इलाके के प्लेस्तेस्क कॉस्मोड्रोम से अपनी सबसे ताकतवर परमाणु मिसाइल RS-18 Sarmat का परीक्षण किया. लेकिन मिसाइल लॉन्च होने से पहले ही साइलो में ही फट गई. (फाइल फोटोः एपी)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 2/8

साइलो मतलब जमीन के अंदर मौजूद बेलनाकार गड्ढा जिससे इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च होती है. इस मिसाइल का यह चौथा असफल परीक्षण है. इससे टेस्ट साइट पर बड़ा गड्ढा हो गया. (फोटोः X/@MT_Anderson)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 3/8

साइलो और टेस्ट साइट बर्बाद हो गया. इसके बावजूद रूस का कहना है कि उसकी शैतान-2 (Satan-2) मिसाइल कॉम्बैट अलर्ट पोजिशन पर तैनात हैं. सरमत को ही 'दूसरा शैतान' कहते हैं.  (फाइल फोटोः एपी)

Advertisement
RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 4/8

इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी धोखा दे सकती है. 2000 टन से ज्यादा वजनी यह मिसाइल दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती है. Sarmat ICBM की लंबाई 35.5 मीटर है. इसका व्यास 3 मीटर है. (फाइल फोटोः रॉयटर्स)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 5/8

इसके ऊपर 10 से 15 वॉरहेड लगाए जा सकते हैं. ये वॉरहेड पारंपरिक भी हो सकते हैं. या फिर परमाणु भी हो सकते हैं. यानी एक साथ 15 स्थानों पर इससे हमला किया जा सकता है. इसकी रेंज 18 हजार किलोमीटर है. (फाइल फोटोः रॉयटर्स)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 6/8

रूस अपनी सीमा में रहकर भी दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकता है. यह मिसाइल 20.7 मैक की स्पीड से उड़ती है. यानी 25,560 km/hr. मतलब एक सेकेंड में यह 7.1 km पार कर जाएगी. (फाइल फोटोः रॉयटर्स)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 7/8

इसका गाइडेंस सिस्टम रूस द्वारा विकसित नेविगेशन प्रणाली ग्लोनास (GLONASS) पर आधारित है. इसे बनाने की शुरुआत साल 2009 में हुई थी. मकसद था रूस के 'पहले शैतान' यानी R-36M आईसीबीएम मिसाइल की जगह इसे लाना. (फाइल फोटोः रॉयटर्स)

RS-28 Sarmat ICBM, Test Fails
  • 8/8

रूस ने यूक्रेन युद्ध के शुरूआत में इस मिसाइल का पहली बार सफल परीक्षण किया था. इस मिसाइल को साल 2022 के अंत में रूस की मिलिट्री में शामिल किया गया था. उसके बाद इसके चार और परीक्षण हुए लेकिन सब फेल हो गए.  (फाइल फोटोः रॉयटर्स)

Advertisement
Advertisement